नई दिल्ली। इन दिनों कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स में वॉयस कमांड ऑप्शन एडवांस होता जा रहा है साथ लोग इनका उपयोग भी तेजी से कर रहे हैं। स्मार्टफोन में गूगल वॉयस सर्च के जरिए आप बोलकर किसी भी विषय को सर्च कर सकते हैं, वहीं एप्पल का सीरी और विंडोज का कोरटाना आपकी वॉयस कमांड को सुनकर पर्सनल गाइड तक का काम कर लेते हैं। यह सब वॉइस रिकगनिशन सॉफ्टवेयर की मदद से हो पाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह साफ्टवेयर कैसे काम करता है?
दरअसल जब भी आप स्मार्टफोन या कंप्यूटर में वॉयस कमांड देते यानी बोलते हैं तो हवा में वाइब्रेशन्स पैदा होते हैं। मोबाइल या कंप्यूटर का साउंड कार्ड इससे उत्पन्न वेव्स को एनालॉग-टू-डिजिटल कंवर्टर के जरिए डिजिटल डाटा में बदलता है, जिसे कंप्यूटर समझ सके। साथ ही सिस्टम में मौजूद सॉफ्टवेयर आवाज को और साफ करने व बैकग्राउंड की अन्य आवाजों को दूर करने का काम भी करता है। इस डिजिटल डाटा से उत्पन्न आवाज या शब्द को सॉफ्टवेयर टुकड़ों में बांटता है, जिन्हें फोनोमीज कहते हैं।
इसके बाद इन फोनोमीज का मिलान सॉफ्टवेयर अपनी डिक्शनरी में मौजद शब्दों से करता है। सॉफ्टवेयर जितना एडवांस होता है वह उतनी ही कुशलता से ध्वनि को पहचानते हुए सही शब्द का चुनाव करता है। अब नए सॉफ्टवेयर्स में शब्दों के साथ वाक्य भी होते हैं, जिन्हें कोई विशेष कमांड देने के लिए तैयार किया जाता है। शब्द या वाक्य को समझकर डिवाइस (कंप्यूटर मोबाइल) रिएक्शन देता है। इसमें शब्द अथवा वाक्य को टाइप करना या वाक्य के जरिए निर्देशित कार्य करना शामिल है।
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