टर्बनेटर बोले, ऐसे किया जाए दोनों गेंदों का इस्तेमाल
हरभजन सिंह ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वह यह कह रहे हैं कि दोनों गेंदों का इस्तेमाल 90 ओवर तक किया जाए। ऐसा किया जाना चाहिए कि दोनों गेंद को 50 ओवरों के बाद बदल दिया जाए। हरभजन ने कहा कि 50 ओवरों तक दोनों गेंदें पुरानी हो जाएंगी और इसके बाद इसमें पसीने से भी चमक नहीं आएगी। हरभजन ने कहा कि कप्तान के पास विकल्प होना चाहिए कि वह नई गेंद का इस्तेमाल एक ही छोर से करना चाहता है या फिर दोनों छोर से। लेकिन साथ में हरभजन ने यह भी जोड़ा कि एक गेंद को 50 ओवर से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाए।
भज्जी ने बताया लार और पसीने में अंतर
इस दौरान हरभजन ने यह भी बताया कि लार और पसीने में क्या अंतर है और दोनों से गेंद चमकाने पर क्या फर्क पड़ता है। भज्जी ने बताया कि जब गेंद पुरानी हो जाती है तो यह पसीने से नहीं चमकती, सिर्फ भारी होती है, जबकि वहीं थूक पसीने से थोड़ा मोटा होता है और इसके बार-बार प्रयोग से पुरानी गेंद को भी चमकाने में मदद मिलती है। गेंद को चमकाने में मदद मिलती है। हरभजन ने आगे कहा कि सलाइवा का इस्तेमाल न होने से गेंद ज्यादा स्पिन नहीं होगी। हरभजन ने कहा कि पसीने से गेंद भारी होने के कारण गेंद हवा में भी ज्यादा देर नहीं रहेगी और जल्दी नीचे आ जाएगी। इससे गेंद पर ग्रिप बनाने में भी समस्या होगी।
हरभजन सिंह ने कहा कि उन्हें लगता है कि लार का कोई स्थायी विकल्प नहीं है। अगर आप थूक का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो यह गेंदबाजों को खेल से दूर ले जाएगा। भारतीय उपमहाद्वीपीय परिस्थितियों में तो निश्चित। हरभजन ने कहा कि गेंदबाजों को गेंद बनानी है तो उसे सलाइवा चाहिए होगा। भज्जी ने कहा कि हमें देखना होगा कि सलाइवा के अलावा और क्या विकल्प हो सकता है, जिससे गेंद और बल्ले के बीच का संतुलन बनाए रखा जा सके।