पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने कहा कि लॉर्ड्स में भी भारतीय टीम की फिल्डिंग निराशाजनक रही है। मैं बहुत बार कह चुका हूं कि कैच मत छोड़ो। अगर टीम ने सभी कैच पकड़े होते तो इंग्लैंड 300 के अंदर सिमट गई होती।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता और खुद क्रिकेटर रहे योगराज सिंह ने कहा कि जब तक भारतीय टीम फील्डिंग में सुधार नहीं करती है, जीत हासिल करना आसान नहीं होगा। लॉर्ड्स में चल रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट में भारतीय टीम की फिल्डिंग एक बार फिर से निराशाजनक रही है। कई कैच छूटे हैं। इस पर आईएएनएस से बात करते हुए योगराज सिंह ने कहा कि मैं बहुत बार कह चुका हूं कि कैच मत छोड़ो। हमने इस पारी में 5-6 कैच छोड़े हैं। कम से कम, वो कैच नहीं छूटना चाहिए, जो हाथ में आ रहा हो। अगर टीम ने सभी कैच पकड़े होते तो इंग्लैंड 300 के अंदर सिमट गई होती।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी फील्डिंग सुधारनी पड़ेगी। इसके बिना हम नहीं जीत सकते। फील्डर्स को प्रतिदिन 100-100 कैच पकड़ने का अभ्यास करना चाहिए। भारतीय टीम में जब युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ आए, उस समय फील्डिंग के स्तर में बड़ा सुधार हुआ। ये ऐसे कैच पकड़ते थे, जिनके पकड़े जाने की संभावना नहीं होती थी। वहीं, दो की जगह एक और तीन रन की जगह रन आउट किया करते थे। इनके जैसी फील्डिंग मौजूदा टीम को करनी होगी।
योगराज सिंह ने कहा कि जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है, तो शुभमन गिल को यह भूल जाना चाहिए कि पिछले मैच में क्या किया। वह हर पारी को अपनी पहली पारी समझेगा तो हमेशा रन बनेंगे। हमारे शुरुआती 5-6 बल्लेबाज अच्छा कर रहे हैं। निचला क्रम कमजोर है।
मुझे लगता है कि बुमराह और सिराज के साथ अन्य गेंदबाजों को नेट्स में 1-1 घंटे बल्लेबाजी का अभ्यास करवाना जरूरी है। अगर जब कभी टॉप ऑर्डर फ्लॉप होगा, तो ये काम आ सकते हैं। इससे 11 नंबर तक हमारी बल्लेबाजी मजबूत होगी। क्रिकेट ऐसी गेम है कि कई बार एक विकेट 300 रन की साझेदारी कर मैच बदल देता है।
एक पुराने मैच को याद करते हुए पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि मुझे याद है कि वेस्टइंडीज का मैच चल रहा था। एक तरफ से विवियन रिचर्ड्स बल्लेबाजी कर रहे थे। वेस्टइंडीज के 9 विकेट 109 रन पर गिर चुके थे। रिचर्ड्स ने आखिरी नंबर पर आए माइकल होल्डिंग को सिर्फ विकेट पर रुकने को कहा।
आखिरी विकेट के लिए दोनों ने लगभग 125 रन की साझेदारी की। रिचर्ड्स ने उस मैच में 189 रन की पारी खेली थी। वह उस समय का वनडे का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर था। वह मैच वेस्टइंडीज जीती थी। इसलिए निचले क्रम के खिलाड़ियों के पास बल्लेबाजी का आत्मविश्वास होना चाहिए।