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JNU से पीएचडी की लापता छात्रा मिली, कहा- खुद की मर्जी से गई थी

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की एक छात्रा के लापता छात्रा मिल गई है।

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JNU

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की लापता छात्रा मिल गई है। पुलिस के अनुसार छात्रा ने बताया है कि वह अपनी मर्जी से गई थी और पूरी तरह से सकुशल है। बता दें कि जेएनयू एमफिल लाइफ साइंस फर्स्ट ईयर की छात्रा के लापता होने का मामला सामने आया था। छात्रा के पिता की शिकायत पर पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की थी। वहीं, कई महीनों से लापता जेएनयू के छात्र नजीब अहमद की पुलिस अभी तक तलाश नहीं कर पाई है। वहीं सीबीआई भी नजीब मामले में जांच कर रही है।

10 मार्च से है गायब

पुलिस जानकारी के अनुसार गाजियाबाद निवासी पूजा कसाना जेएनयू की एमफिल लाइफ साइंसेज की छात्रा है। पुलिस ने छात्रा पूजा के हवाले से बताया कि उन्‍होंने अपनी बेटी से अंतिम बार 10 मार्च को रात में बात की थी। इस दौरान छात्रा ने पिता को खाने के लिए निकले की जानकारी दी थी। अगले दिन जब उसके पिता ने पूजा को फोन लगाया तो उसका नंबर नहीं लगा। किसी अनहोनी की आशंका होने पर पिता ने विश्वविद्यालय पहुंचकर बेटी की जानकारी की। जेएनयू प्रशासन ने जब पूजा से संपर्क करने के लिए उससे संपर्क करना चाहा तो उसका रूम भी बंद मिला थी। इस पर छात्रा के पिता मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी। पिता ने उसके अपहरण की आशंका जताई थी।

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लाई डिटेक्शन जांच की याचिका खारिज हो गई थी खारिज

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद से जुड़े मामले में अदालत ने सीबीआई की लाई डिटेक्शन जांच की याचिका खारिज कर दिया था। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के साथ कथित तौर पर लड़ाई के बाद नजीब अहमद (27) बीते साल 15 अक्टूबर को लापता हो गया था। वह एमएससी प्रथम वर्ष का छात्र था। एबीवीपी ने हालांकि, इसमें किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था। अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समीर विशाल ने कहा था कि छात्रों के जवाब से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि वह पॉलीग्राफ के विरोध में हैं। अदालत ने कहा था चूंकि जिस व्यक्ति का पॉलीग्राफ जांच किया जाना है, उसकी सहमति के बगैर पॉलीग्राफ जांच नहीं की जा सकती, इसलिए इस आवेदन को इस स्तर पर अनुमति नहीं मिल सकती। नजीब अहमद के लापता होने के मामले में आरोपियों के पॉलीग्राफ जांच की सहमति के लिए अदालत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।