6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

NCRB का खुलासा: पहली बार एक साल में 1 लाख से ज्यादा क्राइम सिर्फ बच्चों के खिलाफ

2015 के मुकाबले 13.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जबकि ऐसे अपराध 2015 में 2014 के मुकाबले 5.3 प्रतिशत बढ़े थे।

2 min read
Google source verification
child crime

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने गुरुवार को 2016 में देश भर में हुए अपराधों के आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों में पहली बार 20 लाख से ज्यादा की आबादी वाले 19 शहरों के आंकड़े विभिन्न श्रेणियों में दर्ज किए गए हैं। वहीं इस साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार लापता व्यक्ति और बच्चों के आंकड़े अलग श्रेणी में दिए गए हैं।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में कुल 48 लाख 31 हजार 515 अपराध दर्ज किए गए हैं। इनमें से 29 लाख 75 हजार 711 मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज किए गए, जबकि 18 लाख 55 हजार 804 मामले विशेष और राज्य स्तरीय कानूनों के तहत दर्ज हुए। साल 2015 में कुल 47 लाख 10 हजार 676 मामले दर्ज किए गए थे। इस तरह 2016 में अपराधों की संख्या में 2.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। अब आईपीसी के मामलों में यह बढ़ोतरी 0.9 प्रतिशत और अन्य कानूनों में 5.4 प्रतिशत रही है।

पहली बार बच्चों के खिलाफ 1 लाख से ज्यादा अपराध

यह सोचनीय विषय यह है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या पहली बार 1 लाख से ऊपर पहुंच गई है। इस साल बाल अपराध के 1 लाख 6 हजार 958 मामले दर्ज हुए। जबकि साल 2015 में बच्चों के खिलाफ अपराध की संख्या 94172 थी। वहीं 2015 के मुकाबले 13.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जबकि ऐसे अपराध 2015 में 2014 के मुकाबले 5.3 प्रतिशत बढ़े थे।

अपहरण:

54723 कुल मामले। उत्तर प्रदेश (9657), महाराष्ट्र (7956) और मध्य प्रदेश (6016) सबसे आगे।

बाल यौन अपराध:

36022 कुल मामले। उत्तर प्रदेश (4954), महाराष्ट्र (4815) और मध्य प्रदेश (4717) सबसे आगे।

मानव तस्करी:

1. मानव तस्करी के 8132 मामले 2016 में सामने आए।
2. पश्चिम बंगाल (44 प्रतिशत) और राजस्थान (17.9 प्रतिशत) सबसे आगे।
3. 15379 लोगों की तस्करी की गई साल 2016 में। इनमें से 58.7 प्रतिशत बच्चे शामिल।
4. 23117 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया। इनमें 61.3 प्रतिशत बच्चे थे।

पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा

वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉक्टर विक्रम सिंह के मुताबिक जिस तरह से महिलाओं, बच्चों के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं उसे कम करने की जरूरत है। लेकिन, ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। यह तो वे आंकड़े हैं जो पंजीकृत हैं। बहुत सारे अपराध में पंजीकरण ही नहीं होता। फिर भी जो पंजीकृत मामले हैं अगर उसमें सजा का प्रावधान तेज हो जाए तो अपराध में कमी लाई जा सकती है। पुलिस को भी अपनी कार्ययोजना में सुधार करना होगा नहीं तो यह खतरे की घंटी है।