23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अंडरवर्ल्ड के आतंक से मुक्त मुंबई में क्या बदला बीते दो दशक में?

बीते दो दशक में मुंबई ने अंडरवर्ल्ड के आतंक से मुक्ति पाई है। उस दौर की मुंबई में जिंदगी कैसी थी यह आज की पीढ़ी सोच भी नहीं सकती।

2 min read
Google source verification

मुंबई। उम्र के दूसरे दशक में जी रहे लोगों ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड को फिल्मों और किस्सों कहानियों में ही सुना है, लेकिन नई पीढ़ी अंडरवर्ल्ड की दहशत से ठीक ढंग से वाकिफ नहीं है। असल में मुंबई ने अंडरवर्ल्ड के आतंक के साये में बहुत कुछ खोया है। उस दौर में सड़कें खून से लाल थीं और आम आदमी के हिस्से में हर वक्त एक खौफ तारी रहता था।

फिर चर्चा में हैं अंडरवर्ल्ड डॉन
हाल के दिनों में एक बार फिर अंडरवर्ल्ड डॉन चर्चा में हैं। 1993 के बम धमाके के मामले में अबू सलेम को 25 साल की सजा मिली, तो इसी दौरान दो अन्य डान अरुण गवली और हसीना पारकर फिल्मों के कारण चर्चा में आए। अरुण गवली पर "डैडी" फिल्म बनी, जिसमें मुख्य किरदार अर्जुन रामपाल ने निभाया। इसी तरह दाऊद की बहन हसीना पारकर पर बनी फिल्म में मुख्य किरदार श्रद्धा कपूर ने निभाया है। 18 सितंबर की रात दाऊद के भाई इकबाल कासकर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

ऐसा था अंडरवर्ल्ड के साये में मुंबई

फिल्म उद्योग पर कब्जा: 1990 के दशक में फिल्म उद्योग पर अंडरवल्र्ड का कब्जा था। हालांकि इसके पीछे वजह फिल्मों की बढ़ती लागत थी। 1960-70 में फिल्मों की लागत बढ़ी और अंडरवल्र्ड को इसमें घुसने का मौका मिल गया। 90 के दशक तक आते-आते अंडरवल्र्ड डॉन यह तय करने लगे थे कि किस फिल्म में कौन हीरो होगा और उसे कौन डायरेक्ट करेगा।

निर्माण कार्यों में दखल: अंडरवल्र्ड ने मुंबई के निर्माण उद्योग पर खासा प्रभाव जमाया। 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के कारण देश की आर्थिक राजधानी में बड़े पैमाने पर आवासीय इमारतों से लेकर कारखानों तक का निर्माण हुआ। इसमें अंडरवल्र्ड ने अपना दखल जमाया। इस दौरान अलग-अलग इलाके के गुंडों के बीच खूनी मुठभेड़ भी हुईं।

हवाला में लेन-देन: 90 के दशक में मुंबई में बड़े पैमाने पर हवाला लेनदेन होता था। यह अब भी पूरी तरह नहीं रुका है, लेकिन दो दशक पहले जैसे हालात नहीं हैं। उस वक्त हवाला का पूरा कारोबार अंडरवल्र्ड के हाथों में था और नकदी के लेनदेन में बड़ा कमीशन लिया जाता था। यह सारा कारोबार एक पूरी समांतर व्यवस्था के तहत चलता था।

हफ्ता वसूली और फिरौती: 90 के दशक में दक्षिणी मुंबई में हफ्ता वसूली आम बात थी। खुलेआम होने वाली इस वसूली में सभी का हिस्सा होता था और अंडरवल्र्ड डॉन के बीच बाकायदा इलाके बंटे हुए थे। अपहरण उद्योग भी इस दौरान खूब फला-फूला। इस दौर में लोगों को डर होता था कि उनके करीबी घर से बाहर जा रहे हैं तो वापस सुरक्षित आएंगे भी या नहीं।

नशे का खुला कारोबार: 90 के दशक में अंडरवल्र्ड ने सबसे ज्यादा पैसा नशे के कारोबार से ही कमाया था। मुंबई के बीच उस वक्त नशे के विदेशी सौदागरों और देश के अंडरवल्र्ड के बीच पुल का काम करते थे। फिलहाल जो समुंदर पर्यटकों को लुभाता है, 90 के दशक में पुलिस और नशे के कारोबारियों के बीच खूनी मुठभेड़ों का गवाह रहा है।