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दमोह में जमीन का अजीबोगरीब खेल, बिना जमीन के ही हो गई रजिस्ट्री

कहीं की दिखाई जमीन, कहीं की कराई रजिस्ट्री,तीन आरोपी दोषी, भेजे गए जेल न्यायालय ने छह माह से भी कम समय में सुनाया फैसला

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दमोह

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Samved Jain

Dec 06, 2025

दमोह। न्यायाधीश पंकज वर्मा की अदालत ने भूमि धोखाधड़ी के एक गंभीर मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
मामला में बताया गया है कि सुभाष कॉलोनी निवासी विनोद राठौर और संदीप राठौर ने व्यवसाय के लिए जमीन खरीदने हेतु आरोपी जमुना उर्फ जुम्मन अहिरवार पिता धनीराम निवासी हिरदेपुर से संपर्क किया। जुम्मन ने उन्हें आमचोपरा रैयतवारी स्थित खसरा नंबर 4/75 का 2000 वर्गफुट का प्लॉट दिखाया और बताया कि यह जमीन संतोष जैन की है, जिसकी बिक्री के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी नियाज उर्फ कल्लू वारसी पिता इसराइल वारसी निवासी चेनपुरा बजरिया को दी गई है। प्लॉट की देखरेख गोविंद यादव पिता डालचंद यादव निवासी आमचोपरा के पास बताई गई।

15 लाख 60 हजार रुपये में सौदा तय होने के बाद दिखाए गए प्लॉट के फोटो लगाकर रजिस्ट्री कराई गई। किंतु निर्माण कार्य शुरू होने पर हृदय पटेरिया द्वारा आपत्ति दर्ज किए जाने पर खरीदारों को पता चला कि रजिस्ट्री में तो खसरा नंबर 4/75 दर्ज है, जबकि बेची गई जमीन वास्तव में खसरा नंबर 3/22 है।

जांच में निकला फर्जीवाड़ा

तहसीलदार कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया कि रजिस्ट्री में लगे फोटोग्राफ जिस प्लॉट के हैं, बेची गई भूमि उससे पूरी तरह भिन्न है। पुलिस ने आरोपियों नियाज वारसी,गोविंद यादव,जमुना (जुम्मन) अहिरवार
के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक षड्यंत्र का प्रकरण दर्ज कर आरोप-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।

अदालत ने माना कि नियाज वारसी ने पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग कर गलत स्थान की जमीन दिखाकर रजिस्ट्री कराई।गोविंद यादव और जमुना अहिरवार ने सक्रिय भूमिका निभाई और रजिस्ट्री में गवाह के रूप में कूटरचना को आगे बढ़ाया।

नकद राशि जब्त न होने एवं गोविंद और जमना के रजिस्ट्री में मात्र गवाह होने का तर्क अस्वीकार किया गया, क्योंकि घटना के 14 माह बाद दर्ज एफआईआर के चलते राशि का खर्च हो जाना स्वाभाविक माना गया और फर्जी रजिस्ट्री में गवाह होना भी आपराधिक षड़यंत्र का हिस्सा है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 466 तथा 120-B के तहत अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया।
नियाज वारसी ने 5 वर्ष एवं 4 वर्ष का सश्रम कारावास, गोविंद यादव व जमुना अहिरवार को 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास
सभी पर कुल 37 हजार का अर्थदंड लगाया गया है।