
Bad bulls are becoming a problem in the city
दमोह. खुले में छूटे बिगड़ैल सांडों का मुद्दा हाल में हुए उत्तप्रदेश विधानसभा चुनाव में बना था, लेकिन हम बात बुंदेलखंड के दमोह की कर रहे हैं, जहां पिछले कई सालों से सांडों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। जो अब शहर के 39 वार्डों की चाहे मुख्य सड़क हो या गलियां हों कहीं भी दिखाई दे जाते हैं। इनसे सबसे बड़ी समस्या सड़क पर तब होती है, जब ये आपस में भिड़ते हैं और अपना बाहुबल का खुले में प्रदर्शन करते हैं, जिससे आते-जाते लोगों के दुर्घटना ग्रस्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
दमोह शहर में देखा जाए तो 5 साल पहले सांड केवल बाजार क्षेत्र में दिखाई देते थे, जिनका स्थान कचौरा शॉपिंग सेंटर व चरयाई बाजार रहता था, वर्तमान में पिछले दो सालों में इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर गली में सांड हुंकार भरता हुआ दिखाई दे जाता है। यह बिगड़ैल सांड गलियों में रखी बाइकों, साइकिलों को गिराते रहते हैं, रखी कारों में सींग मारकर उनमें स्क्रैच या उनकी बॉडी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा इनके आपस में लडऩे के कारण बच्चों के घायल होने का अंदेशा बना रहता है, ये आते-जाते लोगों को अपना सिर मारने की कोशिश करते हैं, यदि कोई वृद्ध या बच्चा इनके सिर मारने के दायरे में आ जाता है तो वह चोटिल हो रहा है।
बाजार क्षेत्र में भिड़ते हैं
बाजार क्षेत्र में बिगड़ैल सांडों की लड़ाई आए दिन मुख्य सड़क जो आवागमन में व्यस्त मानी जाती है, वहां हो जाती है, इनकी लड़ाई समाप्त कराने के लिए आपस के व्यापारियों और दुकानदारों को लाठियों का सहारा लेना पड़ता है, इनके ऊपर पानी फैंकना पड़ता है तब जाकर बड़ी मुश्किल में अलग होते हैं।
बिगड़ैल सांडों का नहीं है ठोर
खुले में छूटे बिगड़ैल सांडों के लिए दमोह जिले में चलने वाले एक गौ-अभ्यारण्य व 30 से अधिक गौ-शालाओं में भी ठौर नहीं है। जिससे इनका गुजारा सड़कों या गलियों में ही हो रहा है। यह खाने के लिए घरों के आसपास घूमते रहते हैं, या सार्वजनिक कचरा घरों से अपना पेट भरते हैं। इनके पीने के लिए पानी का इंतजाम न होने से यह गलियों का रुख करते हैं, जहां छोटी नालियों से बहने वाले गंदे पानी को पीकर यह अपनी प्यास बुझाते हैं। हालांकि गलियों में लोग घरों के सामने मवेशियों को पीने के लिए पानी का इंतजाम करते हैं, लेकिन इनकी संख्या भी गिनी चुनी है, जिससे लगातार बढ़ती संख्या के कारण दमोह शहर में सांडों के लिए कहीं ठौर व स्थायी इंतजाम नहीं किया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रही संख्या
दमोह जिले में अकेले शहरी व नगरीय क्षेत्र ही नहीं गांवों में भी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो फसलों के लिए नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे दमोह जिले में बिगड़ैल सांड एक समस्या बनते जा रहे हैं। तेंदूखेड़ा में गौशाला पहुंचे प्रदेश के गौसंवर्धन बोर्ड अध्यक्ष ने बिगड़ैल सांडों की समस्या पर चिंता व्यक्त की थी, लेकिन इस समस्या का निदान कराने के लिए न तो सरकार स्तर से और न ही सामाजिक स्तर से कोई पहल की जा रही है।
Published on:
11 Mar 2022 09:41 pm
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