
तस्वीर में मृतका का पिता, बातचीत करतीं तहसीदार, मौजूद अस्पताल पुलिस चौकी प्रभारी सहित अन्य
दमोह. जिला अस्पताल प्रबंधन व अस्पताल में संचालित पुलिस चौकी के कर्मचारियों के बीच तालमेल नहीं होने का खामयाजां उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें मरीज की मौत के बाद पोस्ट मार्टम कार्रवाई पूरी करानी पड़ती है। दरअसल कुछ मामलों में डॉक्टरों द्वारा मौत की वजह पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम प्रक्रिया प्रस्तावित कर दी जाती है और इसकी सूचना जिला अस्पताल पुलिस चौकी को भेज दी जाती है। इधर सूचना मिलने के बाद पुलिस द्वारा अपनी कार्रवाई शुरु कर दी जाती है, लेकिन दोनों के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से इंसानी शव घंटों रखा रहता है और दुखी परिवार पोस्टमार्टम को लेकर कभी डॉक्टर के तो कभी पुलिस चौकी के चक्कर लगाते हैं। शनिवार को भी एक ऐसा ही दर्दनाक मंजर सामने आया।
मामले के अनुसार जिले के कुम्हारी थाना क्षेत्र के धनगुवां गांव निवासी कविता लोधी पति तखत सिंह को शुक्रवार के दिन गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया था, लेकिन यहां पहुंचने पर मौजूद डॉक्टर द्वारा महिला को मृत घोषित कर दिया गया। बताया गया है कि कविता लोधी का टीटी ऑपरेशन मंगलवार को पटेरा स्वास्थ्य केंद्र में हुआ था। ऑपरेशन के बाद शुक्रवार को अचानक कविता के पेट में दर्द हुआ और परिजन उसे लेकर पटेरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। पटेरा स्वास्थ्य केंद्र से कविता को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। लेकिन जिला अस्पताल में उपचार लाभ मिलता इसके पहले ही कविता की मौत हो गई।
जिला अस्पताल में कविता के मृत होने की पुष्टि के तुंरत बाद ही डॉक्टर द्वारा मौत की वजह पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम कार्रवाई सुनिश्चित कर दी गई और इसकी सूचना जिला अस्पताल की पुलिस चौकी भेज दी गई। लेकिन महिला के शव का परीक्षण मृत होने की पुष्टि के १८ घंटे बाद भी नहीं हो सका था। इस समयावधि के दौरान परिजन पुलिस व डॉक्टर के चक्कर काटते रहे और परेशान होते रहे।
घंटों अटकी रही कागजी कार्रवाई
पुलिस द्वारा इस मामले में शव पंचनामा की कार्रवाई अग्रसर की गई और इसकी सूचना नायब तहसीलदार व तहसीलदार दमोह को दे दी गई। पुलिस चौकी प्रभारी बिनोद कारौलिया का कहना है कि उनके द्वारा पंचनामा कार्रवाई की सूचना फोन पर सबसे पहले नायब तहसीलदार मुकेश जैन को दी गई थी, लेकिन इनके अवकाश पर होने की बात सामने आने के बाद सूचना नायब तहसीलदार सोनम भगत को दी गई जो उस दौरान बीएलओ प्रशिक्षण में थीं। चौकी प्रभारी बिनोद कारौलया का कहना है कि मृतका के ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा इस बात को लेकर आपत्ति जताई जा रही थी कि महिला के टीटी ऑपरेशन के द्वारा डॉक्टर द्वारा लापरवाही कर दी गई, इसलिए यह हादसा हुआ है। इसी के चलते वरिष्ठ अधिकारियों की अनुुमति पर नायब तहसीलदार के संज्ञान में मामला लाया गया था।
मजिस्ट्रेट बयान की जरुरत ही नहीं थी
तहसीलदार बबीता राठौर व नायब तहसीलदार सोनम भगत जब जिला अस्पताल पहुंची और मामले के संबंध में पुलिस व मृतक महिला के परिजनों से बात हुई तो यह तथ्य सामने आया कि इस मामले में मजिस्ट्रेट बयान की आवश्यकता ही नहीं है और बेवजह इस कार्रवाई को लेकर पोस्टमार्टम रोके रखा गया। तहसीलदार बबीता राठौर ने बताया कि मजिस्ट्रेट बयानों की आवश्यकता नव विवाहिता की मौत होने या गंभीर हालत की स्थिति में होने वाले बयानों के दौरान ही रहती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। किसी भी पक्षकार द्वारा किसी प्रकार आपत्ति दर्ज नहीं की जा रही है।
परिजनों का दर्द समझने वाला कोई नही
जिला अस्पताल में इस तरह के मामलों में पीडि़त लोगों को व्याप्त अराजकता की वजह से काफी परेशान होना पड़ता है, जो इस मामले में भी सामने आया। मृतक कविता के परिजन बीती रात से लेकर दूसरे दिन की दोपहर तक परेशान होते रहे। इधर शव का अंतिम संस्कार समय से नहीं होने के कारण शव से दुर्गंध आना शुरु हो गई थी।
Published on:
23 Dec 2018 12:37 pm
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