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किसान बोले-हम लाइन में खड़े हैं, उधर बिना नंबर के वितरित की जा रही खाद

सुबह से लेकर रात तक कतार में खड़े हो रहे अन्नदाता, मौके पर पहुंचे एसडीएम से की शिकायत पथरिया. इस समय खाद को लेकर किसानों के लिए जद्दोजहद करना पड़़ रही है। खाद का स्टॉक है, इसके बाद भी किसानों को दिन भर कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। इनका आरोप है कि वह […]

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दमोह

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Hamid Khan

Oct 17, 2024

सुबह से लेकर रात तक कतार में खड़े हो रहे अन्नदाता, मौके पर पहुंचे एसडीएम से की शिकायत

सुबह से लेकर रात तक कतार में खड़े हो रहे अन्नदाता, मौके पर पहुंचे एसडीएम से की शिकायत

सुबह से लेकर रात तक कतार में खड़े हो रहे अन्नदाता, मौके पर पहुंचे एसडीएम से की शिकायत

पथरिया. इस समय खाद को लेकर किसानों के लिए जद्दोजहद करना पड़़ रही है। खाद का स्टॉक है, इसके बाद भी किसानों को दिन भर कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। इनका आरोप है कि वह सुबह से लेकर रात तक कतार में खड़े रहते हैं, लेकिन खास लोगों को खाद पहले उपलब्ध कराया जा रहा है।
पथरिया में बुधवार को भी दिन भर से खाद के लिए सैकड़ों किसानों को लाइन में लगा हुआ देखा गया। इस दौरान उन्होंने खाद वितरण प्रबंधन पर मनमानी का आरोप लगाया है।
किसानों ने बताया कि प्रबंधन अपने खास लोगों को पहले खाद उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी दौरान पथरिया एसडीएम निकेत चौरसिया भी मौके पर पहुंच गए। किसानों ने उनसे भी शिकायत की, तो उन्होंने किसानों को बगैर पक्षपात के खाद दिए जाने का आश्वासन दिया।
इस दौरान एक किसान ने कहा कि दो काउंटर हैं, लेकिन एक ही काउंटर से खाद बांटी जा रही है, जिससे किसानों को समय पर खाद नहीं मिल रही। जिनके पास 50 नंबर है वह कतार में खड़े हैं और 200 नंबर वाले व्यक्ति को खाद मिल जाती है।
वहीं खाद वितरण प्रभारी सुनील दुबे का कहना है कि किसान अधिक संख्या में अचानक एक साथ खाद लेने पहुंच गए हैं, इसलिए स्थिति बिगड़ी है। पर्याप्त खाद है, सभी को नंबर से खाद दे रहे हैं।

कालाबाजारी करने का आरोप
किसानों का कहना है कि केंद्र पर खाद आसानी से नहीं मिल रही है। परेशानी से बचने जब दुकानदारों के यहां खाद लेने पहुंच रहे हैं, तो वह सरकारी रेट से अधिक में खाद बेच रहे हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि गोदाम प्रभारी सुनील दुबे कई वर्षों से पथरिया में पदस्थ हैं और निजी दुकानदारों की इनसे अच्छी पहचान हो गई है। यही वजह है कि दुकानदारों के यहां पहले ही खाद भेज दी जाती है। जिसे यह अधिक मूल्य पर बेचना शुरू कर देते हैं। वहीं केंद्र में खाद मुहैया कराने में अड़चने बनाई जा
रहीं हैं, जिससे किसान दुकानदारों से अधिक रेट में खाद खरीदें।