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निजी डेरा बना सरकारी रेस्टहाउस, जनप्रतिनिधियों के स्टाफ ने किया कब्जा

रेस्टहाउस, जो विशिष्ट अतिथियों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रोटोकॉल से जुड़े आगंतुकों के लिए आरक्षित है, वह इन दिनों निजी डेरा बन गया है।

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दमोह. शहर के सरस्वती स्कूल के समीप स्थित लोक निर्माण विभाग का सर्वसुविधायुक्त सरकारी रेस्टहाउस, जो विशिष्ट अतिथियों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रोटोकॉल से जुड़े आगंतुकों के लिए आरक्षित है, वह इन दिनों निजी डेरा बन गया है। यहां अधिकांश कमरे मंत्री, सांसद और विधायक के निजी स्टाफ को स्थायी रूप से अलॉट कर दिए गए हैं, जिससे शासन की व्यवस्थाओं और प्रशासनिक अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

नियमों की खुली धज्जियां

रेस्टहाउस का उपयोग केवल उन्हीं व्यक्तियों के लिए किया जाना चाहिए, जो शासन के निर्देशानुसार विशिष्ट श्रेणी में आते हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों के स्टाफ ने इसे स्थायी आवास बना लिया है। नतीजा यह है कि जब कोई अधिकारी या वीआईपी मेहमान प्रोटोकॉल के तहत यहां रुकना चाहता है, तो उसे जगह नहीं मिलती।

कमरों की स्थिति: कौन कर रहा कब्जाकमरा नंबर 1 – फिलहाल खाली बताया जा रहा है, लेकिन इसके पूर्व में किसे अलॉट किया गया था, इसका कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं।

कमरा नंबर 2 – मंत्री लखन पटेल के स्टाफ के नाम पर एक साल से अलॉट, स्थायी निवास की तरह उपयोग हो रहा है।

कमरा नंबर 3 – दमोह सांसद राहुल सिंह के स्टाफ के कब्जे में 1 अगस्त 2024 से लगातार, सांसद खुद शायद ही रुके हों।

कमरा नंबर 4 – दमोह विधायक जयंत मलैया के स्टाफ को 31 अगस्त 2024 से दिया गया, जब स्टाफ नहीं होता तो ताला लटकता है।

वीआईपी रूम – 1 अक्टूबर 2024 से मंत्री लखन पटेल के स्टाफ के अधीन, जबकि यह कमरा वास्तव में वीआईपी आगंतुकों के लिए आरक्षित होना चाहिए।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

सूत्रों के मुताबिक इस मामले को लेकर कई बार शिकायतें प्रशासन तक पहुंची हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जिम्मेदार अधिकारी या तो पल्ला झाड़ते हैं या चुप्पी साध लेते हैं। जब पत्रिका ने एसडीएम आरएल बागरी से सवाल किए, तो उन्होंने पहले रिकॉर्ड दिखाने की बात कहकर जांच की जिम्मेदारी टाल दी।

सीधी बात: एसडीएम आरएल बागरी से

सवाल: रेस्टहाउस किसे अलॉट किया जा सकता है?

जवाब: उन्हें, जो प्रोटोकॉल के दायरे में आते हैं।सवाल: जनप्रतिनिधियों का स्टाफ इतने समय से क्यों ठहरा है?

जवाब: इसका क्या रिकॉर्ड है? पहले रिकॉर्ड दिखाओ, जांच करेंगे।

सवाल: क्या लंबे समय से अलॉटमेंट का रिकॉर्ड प्रशासन के पास नहीं है?

जवाब: अगर आपके पास रिकॉर्ड है तो दें, हम जांच करवा लेंगे।

पत्रिका व्यू

शहर का यह रेस्टहाउस शासन के अधीन एक महत्वपूर्ण सरकारी संसाधन है, जिसका इस तरह निजी इस्तेमाल होना प्रशासनिक लापरवाही की मिसाल है। यदि इस पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो सरकारी भवनों का निजी इस्तेमाल आम चलन बन जाएगा, जिससे जनहित प्रभावित होगा और सरकारी व्यवस्था की साख को ठेस पहुंचेगी।