12 जुलाई 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

तालाब निर्माण पर खर्च हुए लाखों, फिर भी किसानों को नहीं मिला पानी

तालाब निर्माण पर खर्च हुए लाखों, फिर भी किसानों को नहीं मिला पानी - 15 साल पहले भाट खमरयिा में कराया गया था निर्माण

दमोह

Samved Jain

Jul 17, 2024

दमोह. जबेरा की ग्राम पंचायत भाट खमरिया में 15 साल पहले वर्ष 2008 में 47 लाख 86 हजार की लागत से स्वीकृत गंगा पारा तालाब का निर्माण वर्ष 2010 तक 490 मीटर लंबाई बांध पूर्ण करना था, जिससे करीब 100 एकड़ किसानों भूमि की सिंचाई और मवेशियों को पीने का पानी लोगों को निस्तारी पानी की सुविधा उपलब्ध करवाना लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

इस तालाब निर्माण में तात्कालिक जल संसाधन विभाग के अधिकारियों इस तरह से भ्रष्टाचार किया कि आज तक तालाब निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है और किसानों आमजन को इसका कोई लाभ नहीं मिला है। यह आरोप स्थानीय किसानों के साथ जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि डॉ सुजान सिंह के द्वारा लगाते हुए तालाब निर्माण में हुए भारी भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गई ।

जानकारी के अनुसार गंगा पारा नाला बांध की निर्माण एजेंसी तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जल संसाधन विभाग द्वारा निर्माण कार्य पर मजदूरी पर 25 लाख से अधिक राशि व्यय की गई और सामग्री पर 21 लाख से अधिक राशि का व्यय किया जाना दर्शाया गया है इस प्रकार से गंगा पारा तालाब निर्माण में 46 लाख से अधिक रुपए की राशि खर्च की गई, जिसकी हकीकत मौके पर जाकर देखी गई तो एस्टीमेट के अनुसार बांध की लंबाई 490 मीटर होना था, लेकिन बांध मुश्किल से 250 मीटर लंबा बना है।

बाद में काम करने वाले मजदूर ज्ञानी यादव ने बताया इस बांध में मजदूरों द्वारा मिट्टी डालकर बांध की मेढ़ को बनाया गया था , लेकिन सामग्री के नाम पर न पिचिंग भरी गई न पत्थर, सीमेंट ,रेत का उपयोग किया गया। जबकि 21 लाख से अधिक की राशि सामग्री के नाम पर निकाल ली गई। बावजूद इसके 15 साल पहले स्वीकृत बांध का निर्माण अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है, जबकि सामग्री के नाम पर 21 लाख से अधिक रुपए के बिल लगाए गए हैं। हद तो तब हो गई जब अधूरे पड़े बांध पर 2012 में पुनर्रक्षित एस्टीमेट बनाकर 92 लाख की राशि स्वीकृत की गई और यह कार्य कागजों पर आरइएस विभाग के द्वारा करवाया गया।

सवाल उठता है जब 15 साल पहले स्वीकृत बांध का कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो पुनर्रक्षित एस्टीमेट बनाकर 92 लाख रुपए की राशि स्वीकृत कैसे हो गई। जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि डॉ. सुजान सिंह ने बांध कार्यों की जांच की मांग की गई है।