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हटा से बीजेपी विधायक उमादेवी का ऐसे तो कट सकता है पत्ता, सुने मतदाताओं की बात

हटा से बीजेपी विधायक उमादेवी का ऐसे तो कट सकता है पत्ता, सुने मतदाताओं की बात Mera Shahar Mera Mudda

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दमोह

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Samved Jain

Oct 14, 2018

हटा से बीजेपी विधायक उमादेवी का ऐसे तो कट सकता है पत्ता, सुने मतदाताओं की बात

हटा से बीजेपी विधायक उमादेवी का ऐसे तो कट सकता है पत्ता, सुने मतदाताओं की बात

दमोह.2013 के चुनाव में उमादेवी खटीक गांव आई थीं। खूब मीठी-मीठी बात करीं। जो करा दें, उ करा दें, न जाने कित्ती बातें करीं। अच्छो तो तब लगो, जब मैडम ने कईं रोड बनवा देंहे। जेई बात थी कि गांव के लोगों ने उमादेवी को वोट दिया। गांव की पोलिंग से मैडम जीत भी गई। पता चला हटा विधायक भी बन गईं,लेकिन वे फिर कवौं नईं आईं। ने तो रोड बनी और ने कोई काम भए। रोड नईं होवे से गांव की दो महिलाओं ने उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया...।

ये पीड़ा उस मतदाता की थी। जो गांव विकास के लिए सपने संजोए बैठा था। आश्वासन जो मिला था, वह पूरा नहीं हो सका। रंज था, लेकिन अब फिर उम्मीद जागी है। चुनाव फिर सामने है और ग्रामीणों की पूछ-परख शुरू हो गई है। गांव के वरिष्ठ नागरिक अमान सिंह 60, देवकीनंदन यादव 65, प्रेमसिंह यादव 55 बताते है कि आज भी गांव मूलभूत सुविधाओं से दूर है। सड़क देखने के लिए 3 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। भाषण तो बहुत सुनने मिलते है कि हमने गांव-गांव को सड़क से जोड़ा है, लेकिन कभी हमारे गांव भी तो आए नेताजी। सड़क नहीं होने से स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के क्षेत्र में गांव के लोग पिछड़े है।

1540 की आबादी और 830 मतदाता वाला यह गांव हटा विधानसभा के पटेरा ब्लॉक का इमलिया जैर है। जंगली क्षेत्र में बसा यह गांव में विकास दूर-दूर तक नहीं है। गांव की महिलाओं का दर्द यहां कुछ अलग है। गांव की मंझलीबहू, प्रेमरानी, केशररानी बताती है कि उनकी आंखों के सामने उनकी दो बहनें तड़प-तड़प कर दम तोड़ चुकी हैं। कारण, रोड नहीं होने के कारण गांव तक स्वास्थ्य विभाग के इमरजेंसी वाहनों का नहीं पहुंच पाना था। बारिश के समय में गांव के लोग गांव से बाहर भी नहीं जा पाते है। जबकि स्वास्थ्य के लिए उन्हें 14 किमी दूर कुम्हारी या 15 किमी दूर पटेरा जाना होता है।

गांव के युवाओं के पास कोई रोजगार नहीं है। गांव में मनरेगा सहित अन्य कार्य ठप है। युवा जमना सेन, कौशल अहिरवार, कमल बताते है हम अब ऐसे ही जीवन के आदि हो चुके है। गांव में आठवीं तक स्कूल तो है, लेकिन बारिश में बंद रहता है। जैसे-तैसे आठवीं तक की शिक्षा गांव के बच्चे ले भी लेते है लेकिन आगे नहीं पढ़ते। गांव में अधिकांश बच्चे ८ तक ही शिक्षित है। गांव में पेयजल संकट भी है। एकमात्र हैंडपंप के सहारे गांव के लोग है। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास सहित सरकारी योजनाओं की पहुंच भी गांव में नहीं है।