पर्यटन में अब बढ़ गईं उम्मीदें
पर्यटन के क्षेत्र में न सिर्फ दमोह लोकसभा बल्कि समूचे बुंदेलखंड में काफी उम्मीदें हैं। दमोह के पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बाद भी अब तक इनका विकास संभव नहीं हो सका है। सिग्रामपुर, वन क्षेत्र और धार्मिक स्थल दमोह में प्रसिद्ध तो हैं, लेकिन अपनी ओर पर्यटकों को खीचने में नाकाफी है। बुंदेलखंड में भी पन्ना नेशनल पार्क, ओरछा मंदिर, खजुराहो को छोड़ दिया जाए तो पर्यटन के क्षेत्र में कोई खास प्रयास नजर नहीं आते है। जबकि समूचे बुंदेलखंड में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि यदि एक चैन बनाकर पर्यटन डेव्लप किए जाएं तो पर्यटन के साथ-साथ रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी।
संस्कृति और कला में भी पिछड़ा क्षेत्र
बुंदेलखंड की संस्कृति भले ही प्रसिद्ध हो, लेकिन क्षेत्र के कलाकारों के लिए उच्च स्तर पर काम करने के लिए कोई भी बड़ा प्लेटफॉर्म नहीं है। सागर से मुकेश तिवारी, गोविंद नामदेव जैसे स्टार भले ही आज बॉलीवुड में अपनी कला की छाप छोड़ रहे हों, लेकिन आज भी क्षेत्र के हजारों कलाकार सिर्फ यहीं सोचकर पीछे हटते जा रहे हैं, कि उन्हें प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा है। बुंदेलखंड की कला को निखारने के लिए एक बड़े स्टुडियों, फिल्म इंडस्ट्री या लोकल लेंग्वेज वेब सीरिज स्टुडियो, ऑडिटोरियम जैसे प्लेटफॉर्म मिलते हैं तो निश्चित ही यहां से अच्छी स्टार कास्ट निकलकर सामने आ सकती है। साथ ही यहां से भी रोजगार और कौशल के अवसर बढ़ सकते है।
ये चर्चाएं गरम
प्रहलाद पटेल के पर्यटन व संस्कृति राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनते ही अब सोशल मीडिया पर कुछ चर्चाएं काफी गरम हैं। प्रहलाद हमेशा से दमोह के इतिहास, पर्यटन और संस्कृति को लेकर बातें करते रहे है। कुंडलपुर में मां रुक्मिणी की प्रतिमा को वापस लाने के कॉमेंट के बाद से लगातार वह चर्चाओं में रहे है। जिसे लेकर अब फिर से चर्चाएं गरम हो चुकी है। लोग उम्मीद जताने लगे है कि जल्द ही अब मां रुक्मिणी की प्रतिमा की वापसी होगी। इसे लेकर सांसद प्रहलाद पटैल पहले भी प्रयास कर चुके है, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायक राहुल सिंह ने इस विषय को मेनीफेस्टों में रखा था। इसके बाद सांसद पटेल पीछे होते नजर आए थे, लेकिन अब लोगों की मांग मां रुक्मिणी की प्रतिमा की कुंडलपुर वापसी को लेकर अधिक हो गई है।
इधर बधाई को लेकर कांग्रेस में दो फाड़
23 मई के पहले तक कांग्रेस के सुर अलाप करने वाले नेता और कुछ कांग्रेसी विचारधारा के सरकारी कर्मचारी समर्थक मोदी मंत्रीमंडल के गठन के बाद से लगातार सोशल मीडिया पर प्रहलाद पटैल को बधाईयां देते नजर आ रहे हैं। जिसे लेकर एक बड़ी बहस सोशल पर दमोह में छिड़ी गई है। कुछ कांग्रेसी इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए ऐसी पोस्ट को तत्काल हटाने तक की नसीहत देते नजर आ रहे हैं, तो कुछ इसे पार्टी की गाइडलाइन के विरुद्ध भी बता रहे है। कुछ पोस्ट पर कांग्रेसी ही दो फाड़ नजर आ रहे है। 30 मई के बाद से लगातार सोशल पर यह मुद्दा हॉवी नजर आ रहा है। जिसका सामान्य यूजर काफी मजा ले रहे है। साथ ही अपनी समझ का उपयोग करते हुए मायने भी फिट करने में लगे हुए है।