नतीजतन अक्सर बाइक सवार इन वाहनों से टकरा जाते हैं। जिससे गंभीर हादसे हो रहे हैं।पिछले महीने मई में मारा के पास 3 बड़े हादसों में बाइक सवार 7 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। ये सभी हादसे बाईकों और भारी वाहन या चार पहिया वाहनों में हुई टक्कर से हुए। इधर, इमलई के पास स्थित ब्लैक स्पॉट इस समस्या को और भी गंभीर बना रहा है। यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। बावजूद इसके ट्रैफिक और सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं।
पत्रिका लाइव: हर जगह हादसे का खतरा, बाइक सवार बेहाल रविवार सोमवार रात पत्रिका ने छतरपुर हाइवे पर हालात का जायजा लिया। हमे रात दस बजे सीमेंट फैक्ट्री के पास सड़क के दोनों ओर भारी वाहन काफी संख्या में खड़े मिले। जिससे रास्ता काफी संकरा हो गया था। वहीं तेज रफ्तार में दौड़ते ट्रक और डंपर खतरा बनकर नजर आए। कई स्थानों पर बिना लाइट या रिफ्लेक्टर वाली ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी थीं, जो अचानक सामने आ जाने से दुर्घटना का कारण बन सकती थीं। कुछ ट्रॉली सड़क के बीचोंबीच भी खड़ी दिखीं। इन हालात में बाइक चालकों को निकलने में भारी परेशानी हुई।
कोई सुधार नहीं हुआ स्थानीय लोगों और वाहन चालकों द्वारा हमेशा हाईवे पर यातायात व्यवस्था सुधारने, सड़क किनारे खड़े वाहनों पर कार्रवाई करने और ब्लैक स्पॉट्स पर संकेतक व लाइट की व्यवस्था करने की मांग की, ताकि हादसों पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। एक पखवाड़ा पहले मारा गांव के पास सड़क हादसे में तीन की मौत हुई थी, इसके बाद यहां ब्रेकर बना दिए गए, लेकिन अनजान लोगों को यहां ब्रेकर हैं यह बताने के लिए सफेद रंग नहीं किया गया, जिससे तेज रफ्तार वाहन ब्रेकर पर आकर अनियंत्रित हो रहे हैं।
ट्रैक्टर-ट्राली बनीं जान का खतरा इधर, बाइक चालकों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत आगे जाती या सड़क पर खड़ी ट्रैक्टर-ट्राली बन रही हैं। रात के अंधेरे में बिना रिफ्लेक्टर या लाइट के ये वाहन दिखाई नहीं देते, जिससे दोपहिया चालकों को टक्कर का खतरा बना रहता है। वहीं इन ट्रालियों में लोहे के सरिया, पाइप ढोए जाते हैं, जो हादसे की वजह बन रहे हैं।
यातायात नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहनों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। हादसों को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह से प्रयासरत है।दलबीर सिंह मार्को, यातायात थाना प्रभारी