7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस रोजगार की सुरक्षा करते हैं विषैले नाग

पान बेचने वाले चौरसिया नागों को क्यों मानते हैं अपना अराध्य, जानिए पान की खेती की सुरक्षा कैसे करते हैं विषधर सांप

2 min read
Google source verification

image

Widush Mishra

Jul 28, 2017

 Security guards are venomous snakes

Security guards are venomous snakes

राजेश कुमार पांडेय@ दमोह. देश भर में नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है, इस पर्व को मनाने में चौरसिया समाज यानि पान के कृषक व विक्रेता विशेष श्रद्धाभाव से मनाते हैं। इस समाज से जुड़े कुछ रोचक तथ्य हैं, जिनके बारे में जानकार रह जाएंगे हैरान।

श्रावण मास में आने वाली नागपंचमी को चौरसिया दिवस के रूप में पुरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। चौरसिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चतुरशीति: से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ चौरासी होता है। अर्थात चौरसिया समाज चौरासी गोत्र से मिलकर बना एक जातीय समूह है। वास्तविकता में चौरसिया, तम्बोली समाज की एक उपजाति हैं। तम्बोली शब्द की उत्पति संस्कृत शब्द ताम्बुल से हुई है, जिसका अर्थ पान होता है। चौरसिया समाज के लोगो द्वारा नागदेव को अपना कुलदेव माना जाता है। जिससे चौरसिया समाज के लोगों को नागवंशी भी कहा जाता है। नागपंचमी के दिन चौरसिया समाज द्वारा ही नागदेव की पूजा करना प्रारंभ किया गया था। तत्पश्चात संपूर्ण भारत में नागपंचमी पर नागदेव की पूजा की जाने लगी।

नागदेव द्वारा चूहों से नागबेल(जिस पर पान उगता है) उसकी रक्षा की जाती है। चूहे नागबेल को खाकर नष्ट करते हैं। इस नागबेल (पान) से ही समाज के लोगों का रोजगार मिलता है। जिससे नागों को पान के बरेजों का पहरेदार या सुरक्षा गार्ड भी कहा जाता है, जो चौरसिया समाज को प्राकृतिक रूप से नि:शुल्क मिला है। पान का व्यवसाय चौरसिया समाज के लोगो का मुख्य व्यवसाय है। इसके लिए समाज के लोगों ने अपने आराध्यदेव और रोजगार रक्षक को श्रावण मास की पंचमी को पूजना प्रारंभ किया गया।

नागपंचमी का त्यौहार इस समाज विशेष द्वारा एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। नागपंचमी के त्यौहार को पूरे भारतवर्ष के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार से बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं। चौरसिया समाज के लोगों का मुख्य व्यवसाय पान की खेती करना होता है। भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में पान से संबंधित व्यापार व्यवसाय चौरसिया समाज के लोगों द्वारा किया जाता है।