दमोह जिले में एक ओर सरकार जहां ग्रामीण विकास और शिक्षा के बेहतर माहौल की बात करती है, वहीं दूसरी ओर हटा विकासखंड का निमरमुंडा गांव इन दावों की हकीकत उजागर कर रहा है। गांव के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए आज भी कीचड़ और फिसलन भरे कच्चे रास्ते से गुजरना पड़ता है। स्थिति यह है कि हर रोज बच्चे कीचड़ में सने होकर स्कूल में पहुंचते हैंं।
बताया गया है कि करीब एक किलोमीटर लंबा यह रास्ता, विशेष रूप से बरसात में चुनौती बन जाता है। मिट्टी, गड्ढे और पानी से भरे इस मार्ग पर छोटे बच्चे हर दिन फिसलते, गिरते और चोटिल होते हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
गांव के लोगों के मुताबिक यह समस्या पिछले 15 वर्षों से जस की तस बनी हुई है। उन्होंने पंचायत, जनपद और जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय स्कूल के प्रधानाध्यापक बृजेश पाठक ने बताया, मैं 2011 से स्कूल में पदस्थ हूं, तब से यही समस्या देख रहा हूं। बारिश में रास्ता पूरी तरह कीचड़ से भर जाता है, जिससे बच्चों और शिक्षकों को रोजाना परेशानी होती है। कई बार बच्चे चोटिल हो जाते हैं। साफ कपड़े गंदे हो जाते हैं। स्कूल आना भी मुश्किल हो जाता है।
निमरमुंडा गांव का स्कूल मार्ग यह साफ दर्शाता है कि शासन की योजनाएं और विकास की बात जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। बच्चों की शिक्षा की राह आज भी कीचड़, गड्ढों और प्रशासनिक लापरवाही से भरी हुई है। अब देखना यह है कि एसडीएम के आश्वासन के बाद वास्तव में कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं।
Published on:
05 Jul 2025 02:19 am