तकलीफ ज्यादा फिर भी कर दिया गया डिस्चार्ज
तेंदूखेड़ा. तारादेही थाना अंतर्गत ग्राम झमरा में मालवाहक पलटने से दुर्घटना ग्रस्त बच्चों के घरों जाकर चाइल्ड लाइन की टीम ने भ्रमण किया। वहीं इस घटना के बाद गुरुवार की सुबह मालवाहक से लोग दूसरे जिले पलायन कर मजदूरी के लिए जाते हुए दिखाई दिए।
चाइल्डलाइन टीम ने घायल बच्चों के घरों में पहुंचकर उनके स्वास्थ्य के लिए मेडिकल हेल्प की जानकारी दी। जिसमें से 3 बच्चें जो अति गंभीर थे जिन्हें जबलपुर हॉस्पिटल रेफर किया गया। उनके लिए भी शासन की योजनाओं से जोडऩे की बात कहीं साथ ही जो बच्चे दुर्घटनाग्रस्त है। घायल अवस्था में दर्द है। उनके परिजनों ने बताया कि अभी इलाज की जरूरत है यहां हमारे बच्चों को आराम नहीं है। जिनके लिए इलाज करवाने के लिए टीम ने समझाया और कहा कि 108 पर फोन लगाकर हॉस्पिटल में जाकर इलाज करवाएं। पार्वती और रविंद्र सिंह ने बताया कि यदि हम लोगों के घरों में आकर इलाज हो तो हम सभी 20 लोगों को वहां अस्पताल तक न जाना पड़े और जिनके लिए अधिक दर्द है ज्यादा चोटें आई हैं उन्हें बड़े अस्पताल में ले जाकर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो चाइल्डलाइन टीम दमोह से कोऑर्डिनेटर दीपिका ठाकुर और राहुल सिंह, धर्मदास पाल ने जाकर विजिट किया।
तेंंदूखेड़ा ब्लाक के अंतर्गत आने वाली 63 ग्राम पंचायतों में रोजगार उपलब्ध नहीं होने के कारण स्थानीय मजदूरों को गांव से पलायन करने मजबूर हैं और दूसरे जिले में रोजगार की तलाश में हर दिन की सुबह जा रहे हैं। बुधवार को तारादेही थाना क्षेत्र के पास एक मालवाहक मजदूरों से भरा हुआ पलट जाने से 40 मजदूर घायल हो गए और दो नाबालिग बच्चों को जबलपुर रेफर किया गया लेकिन घटनाओं के बाद भी वाहन मालिकों ने सबक नहीं लिया। जहां गुरुवार की सुबह ऐसा ही नजारा देखने को मिला है जब दर्जनों लोडिंग वाहनों में मजदूर करने जा रहे थे इन मजदूरों से पलायन का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पेट पालने के लिए इतना लंबा सफर तय करना पड़ता है चाहे फिर जान क्यों न गंवानी पड़े।
मजदूर अमन केवट, छोटा केवल, पुष्पाबाई गौड़, छोटीबाई, गौरा, ममता गौड़, राहुल गौड़, आनंद गौड़ ने बताया कि जब से कोरोना जैसी महामारी आई है। कहीं भी काम नहीं मिला और मिला भी तो सिर्फ 3 से 5 दिन वो भी आधा काम और पूरा काम जेसीबी मशीनों से कराया गया है। काम न मिलने से पेट पालने की नौबत आ गई थी। खकरिया निवासी राहुल आदिवासी, प्रदीप आदिवासी ने बताया कि तेंदूखेड़ा ब्लॉक के तहत आने वाली 63 ग्राम पंचायत में एक से ही हाल है। इनमें मनरेगा के तहत होने वाले काम मशीनों से कराए जा रहे हैं। मजदूर रोजगार न मिलने से माल वाहक व अन्य जिलों के रोजगार की तलाश में जा रहे हैं।