
नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा से पहली बार चार छात्रों ने jee advance परीक्षा की उत्तीर्ण,बनेंगे इंजीनियर
दंतेवाड़ा. धीरे धीरे ही सही लेकिन अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (Naxal affected area) की स्थिति बदलने लगी है। जहाँ नक्सलवाद के आगे कोई कुछ और सोच समझ ही नहीं पाता था वहां के बच्चों के आँखों में में अब डाक्टर इंजीनर बनने के सपने पलने लगे हैं। यही नहीं वो इन सपनो के लिए खूब मेहनत भी कर रहे है। यही वजह है की बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने बाद NEET और JEE की परीक्षा में भी उनका बेहतर प्रदर्शन जारी है।
चेरपाल का पहला आदिवासी इंजीनियर बनेगा संतूराम कुंजाम
इंद्रावती नदी पार माड़ इलाके से लगे पहुंचविहीन गांव चेरपाल का संतूराम कुंजाम इस इलाके का पहला ऐसा आदिवासी लड़का होगा, जो न सिर्फ इंजीनियर बनकर निकलेगा, बल्कि देश के किसी प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थान से पढाई करने का गौरव हासिल करेगा। उसने परीक्षा में 484 वीं रैंक हासिल की है। यह इलाका इंद्रावती नदी की वजह से देश के अन्य हिस्सों से अलग-थलग पड़ा हुआ है।
खास बात यह है कि संतूराम इस गांव में वह दूसरा शख्स हैं, जिन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की है। अब आगे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेंगे। शुक्रवार को जब JEE advance के नतीजे घोषित हुए तो उन्हें यह सूचना देर से मिली, क्योंकि उसके गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं रहता है और पड़ाेसी गांव में एक रिश्तेदार के घर पर थे।
जिला मुख्यालय के शिक्षकों ने एक ग्रामीण को भेजकर उसे शनिवार को यहां बुलवाया। उसके पिता किसान बुधराम गांव में ही किसानी करते हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि गांव के बच्चों काे यह पता ही नहीं कि पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं। दसवीं के बाद जिला प्रशासन के छू लो आसमान कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया, तो इंजीनियर बनने की चाह जाग उठी, अब मैकेनिकल इंजीनियर बनने की इच्छा है।
कंप्यूटर इंजीनियर बनना किरण बघेल का है सपना
इसी तरह 793 वां रैक हासिल कर JEE advance परीक्षा पास करने वाली धनपुंजी निवासी आदिवासी छात्रा किरण बघेल के पिता भी साधारण किसान हैं। किरण कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियर बनना चाहती है। उसने बताया कि छोटे गांव की होने की वजह से उसे ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन शिक्षकों के प्रोत्साहन व खुद की मेहनत से परीक्षा पास कर ली है।
इंजीनियरिंग के बाद आईएएस बनना चाहते हैं हरीश
बारसूर निवासी हरीश बघेलJEE advance में चयनित होने के बाद अब मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं। उसके पिता राम संजीवन शिक्षक हैं। जेईई एडवांस परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उसने 1742 वीं रैंक हासिल की है। हरीश ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद आईएएस की तैयारी करने की इच्छा है।
दंतेवाड़ा से 4 ने उत्तीर्ण की परीक्षा
जिले से पहली बार 4 परीक्षार्थियों ने जेईई एडवांस की परीक्षा परीक्षा पास की है, जिनमें संतूराम कुंजाम, हरीश कुमार बघेल, किरण बघेल व वेदप्रकाश शामिल हैं। सफल हुए चारों परीक्षार्थी जिला प्रशासन द्वारा संचालित छू लो आसमान आवासीय कोचिंग में रहकर पढ़ रहे थे।
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Updated on:
16 Jun 2019 05:30 pm
Published on:
16 Jun 2019 05:27 pm
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