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छिंदनार के जंगल में है मुकडी मावली माता मंदिर, पहुंचते हैंश्रद्धालु

Mukdi Mavali Mata : जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर गीदम ब्लाक के छिंदनारगांव के घने जंगल में एक देवी का मंदिर है।

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छिंदनार के जंगल में है मुकडी मावली माता मंदिर, पहुंचते हैंश्रद्धालु

छिंदनार के जंगल में है मुकडी मावली माता मंदिर, पहुंचते हैंश्रद्धालु

दंतेवाड़ा. Mukdi Mavali Mata : जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर गीदम ब्लाक के छिंदनारगांव के घने जंगल में एक देवी का मंदिर है। इस मंदिर को ग्रामीण मुकड़ी मावली माता मंदिर के नाम से पहचानत हैं । छिंदनार निवासी पुजारी मनोहर ङ्क्षसह और उनका परिवार इस मंदिर में नियमित पूजा-अनुष्ठान के लिए पहुंचता है। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है।

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इस मेले में महिलाएं तो पहुंचती है पर मंदिर में उन्हें प्रवेश की मनाही है। इस मंदिर में पूजा करने वाला क्षत्रिय धाकड़ परिवार के वंशज पुराने समय से यहां विधि विधान से पूजा करते आ रहे हैं। किवदंती है कि बस्तर रियासत के राजा अन्नमदेव जब वारंगल से होते हुए बस्तर पहुंचे थे। तब दंतेश्वरी माता व माता मावली देवी भी उनके साथ आई थी। इस देवी ने ङ्क्षछदनार के आसपास के दो तीन इलाकों में विश्राम करने के पश्चात ङ्क्षछदनार में स्थापित हुई। यहां एक मंदिर बनाकर माता मावली को स्थापित करके राजा दंतेश्वरी माई को लेकर बढ़ गए।

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पुजारी धन ङ्क्षसह बताते हैं कि मंदिर की देवी मुकड़ी मावली माता है। जिसका एक हाथ नहीं है और चेहरा विकृत है। दांते भींचे और नाक सिकुड़ा हुआ है मानो किसी दर्द और क्रोध में हैं। लोग यहां मन्न्त मांगने दूर-दूर से आते हैं । सबसे ज्यादा युवक अपने प्रेम पाने के लिए आते हैं, लेकिन युवतियां दूर ही रहती हैं। उनका मंदिर के करीब आना वर्जित है। युवतियों की ओर से चढ़ावा लेकर प्रेमी युवक ही मंदिर पहुंचता है। नगरीय इलाकों से पहुंचने वाले युवा इस माता को प्रेम की देवी भी कहते हैं।