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धार्मिक संस्थान ने की ज्योति के लिए बड़ी पेशकश, बीमार पिता को साइकिल से लाई थीं दरभंगा

पिता को साइकिल से घर पहुंचाने वाली ज्योति (Jyoti Kumari Darbhanga Bihar) की किस्मत (Trending News) चमकी (Ranchi Shani Temple Offered To Economically-Educationally Help Jyoti)...  

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धार्मिक संस्थान ने की ज्योति के लिए बड़ी पेशकश, बीमार पिता को साइकिल से लाई थी दरभंगा

धार्मिक संस्थान ने की ज्योति के लिए बड़ी पेशकश, बीमार पिता को साइकिल से लाई थी दरभंगा

रांची,दरभंगा: कोरोना वायरस के इस संकटकाल में हमें कईं ऐसी घटनाएं देखने को मिली जिनकी बारे में हम शायद ही कभी सोच पाते। किसी को पर्वत के समान परेशानियां उठानी पड़ी तो किसी ने अपने संघर्ष से इन मुसीबतों के पहाड़ों को जमींदोज कर दिया। बीते दिनों ऐसा ही कारनामा कर दिखाया 13वर्षीय ज्योति कुमारी ने जो अपने बीमार पिता को साईकिल पर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा ले आईं। ज्योति के प्रयास की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जा रही है। वहीं राजनेताओं के साथ ही धार्मिक संस्थान भी उसकी मदद को अब आगे आ रहे हैं।

सहायता राशि के साथ ही दिया यह प्रस्ताव...

लॉकडाउन के बीच ज्योति गुरुग्राम से पिता को साईकिल पर बैठाकर बिहार के दरभंगा जिले के कमतौल थाना क्षेत्र अंतर्गत टेकटार पंचायत के सिरहुल्ली गांव लेकर आई। रांची के पंडरा स्थित काला झंडा शनि मंदिर संस्था की ओर से ज्योति कुमारी के इस हिम्मत पूर्ण कार्य के लिए उन्हें सम्मानित करते हुए पांच हजार रुपए की राशि उनके भारतीय स्टेट बैंक के खाते में एनईएफटी द्वारा भेज दी गई है। संस्था के सदस्य और शनि उपासक कैलाश साहू ने कहा कि ज्योति कुमारी को भविष्य में भी काला झंडा शनि मंदिर जरूरत पर आर्थिक सहयोग करता रहेगा और अगर ज्योति कुमारी आगे अपनी पढ़ाई करना चाहेगी तो उसमें भी उसे सहयोग किया जाएगा।

कैलाश साहू ने बताया कि 13 वर्षीय ज्योति कुमारी ने पितृभक्ति का एक अनुपम उदाहरण पेश किया और बीमार पिता मोहर पासवान को लॉकडाउन में भूख से बचाने के लिए दिल्ली से गांव ले आईं। उसने यह उसने यह यात्रा सात दिनों में पूरी की। उन्होंने कहा कि ज्योति कुमारी के हिम्मत व जज्बे को आज दुनिया सलाम कर रही है।

यूं किया संघर्ष...

गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लॉकडाउन के बीच काम बंद हो गया और दिल्ली में रोजी-रोटी और बीमारी के संकट के बीच ज्योति ने अपने पिता को लेकर गांव लौटने का निर्णय लिया गया। प्रारंभ में एक ट्रक वाले से बात की, तो उसने दो लोगों को दरभंगा छोड़ने के लिए छह हजार रुपये की मांग की, इसके बाद बेटी ने साईकिल से ही पिता को घर ले जाने का फैसला लिया। पिता ने काफी मना किया, पर बेटी नहीं मानी और इन्होंने बेटी की जिद के आगे घुटने टेक दिये। इसके बाद दोनों साईकिल से निकल पड़े। आठ दिनों की लंबी यात्रा तय कर दोनों घर पहुंच गए।


अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान...

बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटी इवांका ने भी ज्योति की सरहना की थी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि '15 साल की ज्योति कुमारी अपने घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर घर पहुंचाया। इसके लिए उसने सात दिनों में 1200 किलोमीटर की यात्रा तय की। इस सहनशीलता और प्यार ने भारत के लोगों और साइकिलिंग फेडरेशन का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।'

दिग्गज नेताओं ने सराहा,की सहायता की पेशकश...

इधर बिहार समेत पूरे देश के तमाम दिग्गज नेताओं ने भी ज्योति के काम की सराहना करने के साथ ही उसकी मदद को हाथ आगे बढ़ाया था। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी, लोजपा नेता चिराग पासवान, रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं।