दतिया

आबादी बढऩे के साथ कम पड़ रहे संसाधन

विश्व जनसंख्या दिवस : सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शुमार हम  

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Jul 11, 2023
आबादी बढऩे के साथ कम पड़ रहे संसाधन

आबादी बढऩे के साथ कम पड़ रहे संसाधन
दतिया। जनसंख्या का दबाव लगातार बढ़ रहा है। जनसंख्या बढऩे के साथ जनसुविधाएं भी बढ़ी हैं लेकिन आबादी के हिसाब से जनसुविधाएं नाकाफी हैं। आगामी समय में हमें और अधिक संसाधनों की जरूरत पड़ेगी। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, बिजली, खाद्यान्न की जरूरतें भी बढ़ेंगी। समय रहते इस दिशा में चिंतन जरूरी है।

वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से जिले की जनसंख्या 07 लाख 86 हजार 754 थी जो बढ़ कर 09 लाख 60 हजार तक पहुंचने का अनुमान है। जनसंख्या में करीब दस प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान है। जनसंख्या बढऩे के साथ संसाधन तो बढ़े हैं लेकिन आबादी की तुलना में हम संसाधन जुटाने में पीछे हैं। स्थिति यह है कि दस साल पहले तक जिला चिकित्सालय में 80 पलंग हुआ करते थे। वर्तमान में मरीजों के लिए पलंगों की संख्या बढ़ कर 450 तक पहुंच गई है। जिला चिकित्सालय से मेडिकल कॉलेज भी बन गया। लेकिन मरीजों को अब भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए महानगररों की राह पकडऩी पड़ती है। बढ़ती जनसंख्याा से आवासीय समस्या भी बढ़ी है। पिछले दस सालों में शहर में अवैध कालोनियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। शहर में ही कई क्षेत्रों में लोगों को नलों से पानी नहीं मिल पा रहा है।

बढ़ती जनसंख्या से यह आ रही समस्या

आबादी बढऩे के साथ समस्याएं भी बढ़ी हैं। इसका असर प्राकृतिक संसाधनों पर भी बढ़ा है। मांग और आपूर्ति में अंतर अधिक होने की बजह से मिलावटखोरी बढ़ी है। कचरा प्रबंधन भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। दतिया शहर की ही बात करें तो पहले शहर में करीब 25 मैट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता था जो अब बढ़ कर 45 मैट्रिक टन तक पहुंच गया है। गांवों में स्थिति और भी खराब है। उचित कचरा प्रबंधन न होने से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। आबादी बढऩे से लोगों को जरूरत के मुताबिक रोजगार उपलब्ध नहीं हो रहा है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है। नगरपालिका लोगों को वर्तमान में जरूरत के मुताबिक पानी नहीं दे पा रही है।

भविष्य में स्थिति और बिगड़ेगी

आबादी बढऩे के साथ रोजगार पैदा करना जरूरी हैं। सरकार प्रयास तो कर रही है लेकिन आबादी के हिसाब से और ज्यादा रोजगार की जरूरत बढ़ेगी। लोगों की लाइफ स्टाइल बदली है। रोजगार न मिलने से अपराध बढ़ेंगे। बढ़ती आबादी का असर पर्यावरण पर भी पड़ेगा। पर्यावरण दूषित होने से इसका असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ेगा।

डॉ संगीता भटनागर

वर्ष 2011 में जनगणना हुइ्र थी।

वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से जिले की जनसंख्या 07 लाख 86 हजार 754 थी। दस साल जनगणना होना थी जो नहीं हो पाई है। दस साल में जनसंख्या में दस प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। इस हिसाब से जिले की जनसंख्या बढ़ कर 09 लाख 60 के करीब पहुंच गई होगी

एल आर सिसोदिया जिला सांख्यिकी अधिकारी

एक्सपर्ट व्यू

जनसंख्या बढऩे से प्रति व्यक्ति खेती की भूमि कम हुई है। इससे लघु व सीमांत कृषकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। खेती का रकबा कम होने से भविष्य में खाद्यान्न की समस्या आएगी। बढ़ती आबादी का असर प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहा है। पानी और पेड़ - पौधे कम हो रहे हैं इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ा है। गांवों में व्यवस्थित कचरा निस्तारण न होने से लोगों को शुद्ध हवा नहीं मिल पा रही है। जनसंख्या पर नियंत्रण करना जरूरी है

डॉ आर के एस तोमर प्रधान वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र

दस साल पहले बाद की जरूरत(अनुमानित)

सुविधा पूर्व वर्तमान

खाद्यान्न 16603 िक्ंवटल 25912 क्ंिवटल

स्वास्थ्य 200 मरीज 1300 मरीज

भवन 9202 13212

स्कूल 1051 1150

पानी 08 एमएलडी 14 एमएलडी

Published on:
11 Jul 2023 11:37 am
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