scriptआजादी के बाद से ही दौसा की रही सरकार में धाक | Dausa's government has dominated since independence | Patrika News

आजादी के बाद से ही दौसा की रही सरकार में धाक

locationदौसाPublished: Nov 22, 2021 07:45:19 pm

Submitted by:

gaurav khandelwal

Dausa’s government has dominated since independence: जिले से दो मुख्यमंत्री व दो राज्यपाल सहित कई मंत्री रहे
 

आजादी के बाद से ही दौसा की रही सरकार में धाक

आजादी के बाद से ही दौसा की रही सरकार में धाक

गौरव खण्डेलवाल
दौसा. दौसा जिले की सरकार व राजनीति में धाक आजादी के बाद से अब तक बरकरार है। यूं तो सरकार में दौसा से कोई ना कोई विधायक भागीदार रहता है, लेकिन नेतृत्व करने वाले पद पर अब से पहले दो मुख्यमंत्री दौसा से रह चुके हैं। दो राज्यपाल भी देश को दौसा ने दिए तथा एक उप मुख्यमंत्री की राजनीतिक कर्मभूमि दौसा रही है। वर्तमान में भी दो केबिनेट व एक राज्यमंत्री दौसा जिले से हैं।
Dausa’s government has dominated since independence


जिले के मण्डावर गांव में 1909 में जन्मे टीकाराम पालीवाल वैसे तो प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री थे, लेकिन वे प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने थे। वे महुवा विधानसभा क्षेत्र से ही 1951 व 1957 में विधायक चुने गए थे। मुख्यमंत्री पद पर उनका 3 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952 तक का कार्यकाल रहा था। 1962 में वे लोकसभा से भी चुने गए। आज भी महुवा को उनके नाम से जाना जाता है। महुवा के बीचों-बीच स्थित कस्बे के सबसे बड़े सरकारी स्कूल का नाम टीकाराम पालीवाल से है।

इसी तरह स्वतंत्रता सेनानी रामकरण जोशी भी प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। उन्हें शेर-ए-राजस्थान के नाम भी जाना जाता था। वहीं प्रदेश के नवें मुख्यमंत्री (6 जून 1980 से 13 जुलाई 1981) जगन्नाथ पहाडिय़ा भी महुवा के सांथा गांव के मूल निवासी हैं। इसके अलावा वे 3 मार्च 1989 से 2 फरवरी 1990 तक बिहार के राज्यपाल रहे। वहीं 27 जुलाई 2009 से 26 जुलाई 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल रहे। पहाडिय़ा का ससुराल भी महुवा के रसीदपुर में है। उनकी पत्नी शांति पहाडिय़ा भी तीन बार एमएलए व एक बार सांसद रह चुकी है।

दौसा के निवासी पण्डित नवलकिशोर शर्मा का देश की राजनीति में अहम योगदान रहा। 1925 में जन्मे पं. शर्मा पांच बार सांसद व एक बार विधायक रह चुके हैं। वे 1984 में केन्द्र सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रह चुके हैं। 24 जुलाई 2004 से 24 जुलाई 2009 तक गुजरात के राज्यपाल रहे। उनका नाम एक बार तो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की कतार में भी चला था।

उल्लेखनी है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की कर्मभूमि दौसा रही है तथा उन्होंने राजनीतिक कॅरियर भी 2004 में दौसा से सांसद का चुनाव जीतकर ही शुरू किया था। उनके पिता राजेश पायलट व माता रमा पायलट की कर्मभूमि भी दौसा रही। वहीं बांदीकुई से बीएन जोशी, महुवा से हरिसिंह महुवा, डॉ. किरोड़ीलाल मीना, रामकिशोर मीना, गोलमा देवी, शैलेन्द्र जोशी, रामकिशोर सैनी, वीरेन्द्र मीना आदि भी सरकार की मंत्रिपरिषद में शामिल रहे हैं।
गत कांग्रेस सरकार में पांचों विधायकों के थी लालबत्ती
कांग्रेस की 2008-2013 की सरकार में जिले से पांच विधायकों को सरकार में प्रतिनिधित्व में मिला था। संभवत: प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब जिले के सभी विधायकों को मंत्री पद का दर्जा मिला था। लालसोट से परसादीलाल मीना, दौसा से मुरारीलाल मीना, बांदीकुई से रामकिशोर सैनी, महुवा से गोलमा देवी मीना को मंत्री तथा सिकराय विधायक ममता भूपेश को संसदीय सचिव बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। हालांकि गत भाजपा सरकार में जिले से कोई विधायक मंत्रिमंडल में नहीं रहा। महुवा विधायक ओमप्रकाश हुड़ला को संसदीय सचिव बनाया गया था, लेकिन मंत्रालय का जिम्मा किसी के पास नहीं रहा।
Dausa’s government has dominated since independence

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो