महेश बिहारी शर्मा
लालसोट. मोबाइल व इंटरनेट के इस दौर में भले ही सभी लोक गायकी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्षरत हो, लेकिन लालसोट का सुप्रसिद्ध गणगौर हेला ख्याल संगीत दंगल एवं हेला ख्याल गायकी बीते कई दशकों से अपना नाम व पहचान को बनाए रखने में सफल है। इस सफलता के पीछे कई गायक व रचनाकार है जिन्होंने अपनी ख्याल गायकी से इस विधा व संगीत दंगल को लोकप्रियता के सर्वो’च शिखर तक पहुंचाया था। हेला ख्याल की संगीत मंडली में 40 से 50 गायक कलाकार होते है, लेकिन अधिकाशं गायन मंडलियों ने तीन-चार कलाकार ऐसे होते है, जो कि अपनी गायकी दम पर पूरे दंगल को दबा देते थे। इन गायकों के दम पर ही हेला ख्याल की लोकप्रियता देश विदेश तक फैली थी।
वर्तमान में हेला ख्याल संगीत दंगल एवं इस गायकी से जुड़़े विजय जांगिड एवं दंगल के आयोजन मेें सक्रियता निभाने वाले बाबूलाल हाडा, राजेन्द्र पांखला एवं प्रेम चौधरी समेत कई जनों ने बताया कि लालसोट के हेला ख्याल संगीत दंगल को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई गायक व रचनाकार शामिल है, जिनमें लालसोट के स्थानीय लक्ष्मीनाथ मंडल के स्व. हजारीलाल ग्रामीण एवं डब्लपुर करौली के हुकमचंद, बरनाला के रोशन तेली एवं छोटी उदई के पं. कालीचरण का विशेष योगदान है, ये सभी हेला ख्याल के बेहतरीन गायक कलाकार व रचनाकार थे, जो कि अपनी गायकी से ऐसा समां बांधते थे कि हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था। दंगल में जब ये अपनी गायन मंडली के साथ खड़े होकर प्रस्तुति देते थे तो श्रोता उनकी रचना का एक-एक शब्द बड़े ध्यान से सुनते थे। ये सभी गायक व रचनाकार उस दौर में भी अपनी रचना को यथार्थ पर रखते हुए राजनीति से परे हटकर सामाजिक परिवेश में शास्त्री संगीत व पक्की राग रागनी के माध्यम से बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करते थे।
नब्बे के दशक में जब इस दंगल की रचनाओं में राजनीतिक घटनाक्रम को विषय बनाए जाने लगा तो गंडाल के राधारमण मंडल के रचनाकार खेमराज ङ्क्षसह पथिक ने भी रचनाओं से दंगल व हेला ख्याल गायकी लोकप्रियता में चार चांद लगाए थे। वर्तमान में शेखपुर के देवीङ्क्षसह चौधरी, रानीला के अंबालाल प्रजापत एवं सेवा सारोली के बजरंगलाल प्रजापत गायन मंडलियों के लिए रचानाएं तैयार करते हुए हेला ख्याल की परंपरा को आगे बढाने में जुटे हुए हैं।
जुबां पर है कई रचनाएं
हेला ख्याल संगीत दंगल में विभिन्न गायक कलाकारों व रचनाकारों की ओर पेश की गई रचनाएं आज भी लोगों की जुबां पर है। सन 197& के दंगल के रोशन तेली ने परिवार नियोजन पर एक रचना पेश करते हुए गाया था.. चाचा नेहरु स्वर्ग सिधारे, देते देते ये भाषण,बंद करों ये आबादी, वरना नहीं चलेगा ये शासन। इसी तरह हजारीलाल ग्रामीण उनके गायक मंडल लक्ष्मीनाथ मंडल ने राजस्थान की वीरता पर अपनी रचना में गाया था.. कीमत बड़ी रे मर्दो जग में जुबान, देती गवाही माटी राजस्थान की ।
इसी तरह गंडाल के रचनाकार खेमराज ङ्क्षसह पथिक ने नब्बे के दशक में नौ रत्न का ख्याल पेश करते हुए सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्थाओं पर कटाक्ष किया था। इसी तरह करौली जिले के शहर गांव की गायन मंडली की ओर से प्रस्तुत गांधीजी की पाती आज भी लोगों को याद है।