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श्रमिकों को काम के वक्त ना पानी-डस्ट मास्क, ना जांच की कोई व्यवस्था

पत्थर को तरासने वाले श्रमिक सिलिकोसिस की चपेट में, असमय हो रही मौतें

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दौसा

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Mahesh Jain

Feb 20, 2023

दौसा. मानपुर. पत्थर को आकार देने वाले श्रमिकों की सिलिकोसिस की चपेट में आने से असामयिक मौत हो रही है। चिकित्सीय विशेषज्ञों के अनुसार यदि व्यापारी पत्थर काटते समय मजदूरों को मास्क व पानी इस्तेमाल करने वाली मशीन लगा दें, तो रेत वहीं की वहीं दब सकती है और मजदूर की जान बच सकती है, लेकिन लापरवाही बरती जा रही है। इसको लेकर जिला कलक्टर ने भी दो बार क्षेत्र में शिविर लगाकर व्यापारी व श्रमिकों की बैठक लेकर लापरवाही बरतने पर कार्रवाई की बात कही थी। उपखंड क्षेत्र में सबसे अधिक पत्थर तराशने का काम किया जाता है, लेकिन सिलिकोसिस की चपेट में आने वाले मरीजों की पुष्टि करने के लिए जांच करने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। क्षेत्र के श्रमिकों को सिलिकोसिस बीमारी के प्रमाण पत्र का आनलाइन आवेदन करने के बाद भी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर रहते हैं।

क्या है सिलिकोसिस

सिलिका कणों और टूटे पत्थरों की धूल की वजह से सिलिकोसिस होती है। धूल सांस के साथ फेफड़ों तक जाती है और धीरे-धीरे यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। यह खासकर पत्थर के खनन, रेत-बालू के खनन, पत्थर तोड़ने के क्रेशर जैसे उद्योगों के मजदूरों में पाई जाती है। इसके साथ ही स्लेट-पेंसिल बनाने वाले उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों को भी सिलिकोसिस अपनी गिरफ्त में लेती है।


एक्सपर्ट व्यू…फेफड़े सिकुड़ना व फैलना कर देते हैं बंद, रखें सावधानी
सिलिकोसिस एक लाइलाज बीमारी है। सिलिका कण सांस लेने पर फेफड़ों के अंदर तक पहुंच जाते हैं, लेकिन बाहर नहीं निकल पाते। इससे फेफड़े ठीक से फैलना और सिकुड़ना बंद कर देते हैं। काम के दौरान चेहरे को इस तरह ढंक कर रखें, ताकि किसी भी प्रकार से धूल-धुआं शरीर के अंदर न जा सके। यदि खांसी हो गई तो दवा लें और तत्काल कार्य क्षेत्र से मुक्त हो जाएं। धूल-धुआं आदि से बाहर रहें। यदि धूम्रपान करते हैं तो छोड़ दें। यदि बीमारी बढ़ गई हो तो टीबी की दवा लेने की सलाह दी जाती है। काम के वक्त सावधानी हो तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।

– डॉ. लोकेश मीना मानपुर अस्पताल प्रभारी।

प्रशासन गंभीर, व्यवस्थाएं नहीं सुधरी तो होगी कार्रवाई
सिलिकोसिस बीमारी को लेकर जिला कलक्टर व प्रशासन गंभीर है। क्षेत्र में जितनी भी स्टालें लगी हुई है। उनका सर्वे करवाया जा रहा है। व्यापारी व श्रमिकों को समझाया जा रहा है। उसके बाद भी सुधार नहीं किया जाता है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी – राकेश मीना उपखंड अधिकारी सिकराय।

श्रमिकों को काम के वक्त ना पानी-डस्ट मास्क, ना जांच की कोई व्यवस्था