ऑनलाइन गेमिंग: कर्ज में फंसने के कारण युवा पीढ़ी हो रहे डिप्रेशन का शिकार, क्या है बचाव? जानिए एक्सपर्ट की राय
ऑनलाइन गेम की लत युवा पीढ़ी को डिप्रेशन का शिकार बना रही है। युवा पीढ़ी शुरुआत में इसे शौकिया तौर पर खेलती हैं। इसके बाद ऑनलाइन गेम की ऐसे लत लग जाती है कि वह हजारों से लेकर लाखों रूपये तक गंवाते चले जाते हैं।
बांदीकुई। ऑनलाइन गेम की लत लोगों का जीवन तबाह करती नजर आ रही हैं। पढ़ाई करने वाले व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र इसका ज्यादा शिकार होते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऑनलाइन गेम को जबरदस्त तरीके से प्रमोट किया जा रहा हैं। इस कारण युवा पीढ़ी ऑनलाइन गेमिंग का शिकार बनती जा रही हैं। इन गेमों में कम समय में अधिक पैसे कमाने का प्रलोभन दिया जाता है। युवा पीढ़ी शुरुआत में इसे शौकिया तौर पर खेलती हैं। इसके बाद ऑनलाइन गेम की ऐसे लत लग जाती है कि वह हजारों से लेकर लाखों रूपये तक गंवाते चले जाते हैं। कई युवा तो आनलाइन गेम के ’’जुआ, सट्टा’’ में लाखों रुपए गंवा चुके हैं। ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के साथ कर्जा भी बढ़ता जाता हैं।
जिले में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। दो केस से समझिए पूरा मामला: पहला, शहर के वार्ड 37 के किराए के मकान पर रहने वाले युवक ने बताया कि शुरुआत में शौकिया तौर पर ऑनलाइन ताश गेम खेलना शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे युवक को इस गेम की आदत लग गई। शुरुआत में उसने हजारों रुपए इस गेम में गंवाए लेकिन उभरने की बजाए वह लाखों रुपए गंवाता चला गया। बताया जाता है कि युवक ने उधार लेकर करीब पांच लाख रुपए इस ऑनलाइन गेम में गंवा दिए। आर्थिक स्थिति दयनीय होने से वह डिप्रेशन में चला गया।
दूसरा, गुढ़ा रोड़ के व्यापारी ने बताया कि ऑनलाइन गेम खेलना शुरू किया। जिसमें उसने बताया कि वह कलर सलेक्ट करने गेम खेला और देखते ही देखते उसकी लत तो लग ही गई। साथ ही इस गेमिंग में रुपए गंवाता गया। व्यापारी ने करीब डेढ़ लाख रुपए इस गेम में गंवाए दिए। हालांकि व्यापारी बड़ी मुश्किल से इस गेम की लत से बाहर आया। जिससे वह बड़े आर्थिक जोखिम से बच गया।
युवा ऑनलाइन गेम की लत में इस प्रकार बढ़ते जा रहे हैं कि पढ़ाई और अपने कॅरियर को छोड़कर वे ऑनलाइन गेम में समय और अपने कैरियर को चौपट करते नजर आ रहें है। परिजनों के पूछने के बाद भी युवा ऑनलाइन गेम के बारें में नहीं बताते हैं और रुपए गंवाने के कारण उनमें लगातार तनाव भी बढ़ता जाता हैं। कई बार तो युवा इसके चलते गलत दिशा में भी चले जाते हैं। कई बार तो परिजनों को इस बात का तब पता चलता हैं जब बच्चा कोई ग़लत कदम उठा लेता हैं। ऐसे में परिजन सरकार से अविलंब ऑनलाइन गेम को पूरी तरह से बेन करने की मांग उठाई रहें हैं। परिजनों का कहना है कि जब जुआ और सट्टा खेलना अपराध है तो ऑनलाइन गेम पर रोक क्यों नहीं की जा रही।
जानें एक्सपर्ट की राय
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमराज सैनी का कहना है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। विशेष तौर पर ऑनलाइन गेमिंग की आदत नहीं लगने दें। इसको लेकर बच्चों के मोबाइल, लेपटोप और टेबलेट चलाते समय पूरी निगरानी रखें।
चिकित्सा अधिकारी डॉ. पंकज यादव ने बताया कि ऑनलाइन गेम की आदत बहुत ही खराब हैं। बच्चों से लेकर बड़े तक ऑनलाइन गेमिंग में अपना कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं। साथ ही अपनी जमा पूंजी के साथ उधार लेकर पैसे भी गंवा रहे हैं। मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने से लोगों में अवसाद बढ़ाते जा रहे हैं। तय समय पर चिकित्सक की सलाह नहीं लेने पर माइग्रेन, डिप्रेशन सहित अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।