Rural outraged after death of youth, protest outside SP office
सुबह करीब 11 बजे से ही एसपी कार्यालय के बाहर शव रखकर विरोध-प्रदर्शन के लिए ग्रामीण जमा होने लग गए थे। इसकी भनक पुलिस को लग गई तो एएसपी अनिलसिंह चौहान, सीओ दीपक कुमार व कोतवाली थाना प्रभारी सुगन सिंह ने समझाइश के प्रयास किए। इस बीच ग्रामीण परिसर में ही घुस आए तो कोतवाल ने समझा-बुझाकर मुख्य गेट से बाहर भेजा। गेट बंदकर पुलिस बल व आरएसी तैनात कर दी गई। ग्रामीणों के गेट के बाहर धरना शुरू कर नारे लगाने शुरू कर दिए। इस पर पुलिस ने पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को एसपी अनिल कुमार से वार्ता के लिए बुला लिया।
सुबह करीब 11 बजे से ही एसपी कार्यालय के बाहर शव रखकर विरोध-प्रदर्शन के लिए ग्रामीण जमा होने लग गए थे। इसकी भनक पुलिस को लग गई तो एएसपी अनिलसिंह चौहान, सीओ दीपक कुमार व कोतवाली थाना प्रभारी सुगन सिंह ने समझाइश के प्रयास किए। इस बीच ग्रामीण परिसर में ही घुस आए तो कोतवाल ने समझा-बुझाकर मुख्य गेट से बाहर भेजा। गेट बंदकर पुलिस बल व आरएसी तैनात कर दी गई। ग्रामीणों के गेट के बाहर धरना शुरू कर नारे लगाने शुरू कर दिए। इस पर पुलिस ने पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को एसपी अनिल कुमार से वार्ता के लिए बुला लिया।
ग्रामीणों की निष्पक्ष जांच की मांग पर एसपी ने जांच सीओ दीपक कुमार के जिम्मे कर दी। बाहर कई ग्रामीण आरोपी की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए। इसी बीच जयपुर अस्पताल से मृतक का एम्बुलेंस में शव लेकर परिजन भी पहुंच गए। भीड़ ने शव को सडक़ पर रखकर प्रदर्शन करना चाहा तो पुलिस ने रोक दिया। इस दौरान पुलिस व ग्रामीणों के बीच काफी जद्दोजहद हुई। कोतवाल ने एम्बुलेंस की चाबी निकाल ली। बाद में ग्रामीणों को समझाकर तीन दिन में निष्पक्ष जांच करने का भरोसा देकर रवाना किया। प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने सदर थाना पुलिस के रवैये पर भी आक्रोश जताया।
एसपी को सौंपा ज्ञापन
ग्रामीणों ने एसपी को ज्ञापन सौंपकर बताया कि 16 फरवरी को महेन्द्र गुर्जर पुत्र रामकिशोर को विक्रम योगी ने फोन कर बुलाया। इसके बाद रात को महेन्द्र के गले में धारदार हथियार व सिर में वार से वह अचेत मिला। जयपुर में उपचार के दौरान 22 फरवरी का महेन्द्र की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि विक्रम ने अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्या की है। पुलिस जांच अधिकारी मामले को दुर्घटना का रूप देने पर आमादा हैं। ऐसे में मामले की जांच उच्चाधिकारी से निष्पक्ष कराने की मांग की।
इस दौरान शंकर खटाणा, सरपंच मक्खन शर्मा, प्यारेलाल, मुकेश, रामजीलाल, रामरख, मोहनसिंह, मांगीलाल, मीठालाल, विश्राम, कमलेश, प्रभुदयाल, संतोष, राधेश्याम, लहरीलाल, गिर्राज, मोहनसिंह सहित दर्जनों ग्रामीण थे। इधर, पुलिस का कहना है कि 16 फरवरी की रात दुर्घटना की सूचना पर महेन्द्र व विक्रम को घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में महेन्द्र के परिजनों ने विक्रम पर आरोप लगाकर मामला दर्ज कराया, जिसकी जांच की जा रही है।
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