
पशु चिकित्सकों के अभाव में 33 अस्पताल बंद, पशुपालन विभाग में 48 प्रतिशत पद खाली
दौसा. सरकार जितनी आमजन के इलाज के लिए लापरवाह है, उससे भी कहीं अधिक बेजुबान पशुओं के इलाज के प्रति ही लापरवाह नजर आ रही है। यही कारण है कि जिले में अधिकांश सरकारी पशु चिकित्सालयों में चिकित्सक, कम्पाउण्डर, पशुधन परिचर, सफाईकर्ता व वाटरमैन के स्वीकृत पदों के 47.78 प्रतिशत पद खाली है। यानि 542 में से 259 पद खाली है। ऐसे में बेजुबान पशुओं को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है।
vacancy in animal husbandry department
यहां तक कि जिले में 187 पशुचिकित्सालयों, उप पशु चिकित्सालयों में से 154 ही चालू है यानि 33 पशु चिकित्सालय एवं उप पशु चिकित्सालय स्टाफ के अभाव में बंद पड़े हैं। ऐसे में पशुपालकों को अपने पशुओं के इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। यहां तक कि कई लोगों को अपने पशुओं को या तो झाड़ फूंक करानी पड़ती है या फिर देशी नीम हकीमों के पास ले जाना पड़ रहा है।
स्टाफ के अभाव में इतने अस्पताल बंद
जिले में 42 वैटेनरी हॉस्पिटल हैं, उसमें से 38 चालू हैं और 4 बंद हैं। 117 उप पशु चिकित्सालय (सब सेंटर) हैं, जिनमें से 91 ही चालू है, जबकि 26 बंद पड़े हैं। जिले में 3 मोबाइल यूनिट है, जिनमें से तीनों ही बंद पड़ी है। एक भी चालू नहीं है। यानि 187 अस्पतालों में से 154 ही अस्पताल चालू हैं। जिन इलाकों में सरकारी पशुचिकित्सालय बंद हैं, वहां के पशुपालक अपने पशुओं को इलाज के लिए या तो दूर गांव के पशुचिकित्सालय में अपने पशुओं को इलाज के लिए ले जाते हैं या फिर देशी नीम हकीमों से इलाज करवाते हैं।
इन चिकित्सा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पद खाली
जिले में यदि पशु चिकित्सा विभाग में पशु चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मियों के पदों की बात की जाए तो अधिकांश पद खाली हैं। यहां पर राजपत्रित अधिकारियों में जेडी(संयुक्त निदेशक), डीडी(उप निदेशक), एसवीओ (सीनियर वैटेनरी ऑफिसर) एवं (वैटेनरी ऑफिसर) की 78 पोस्ट हैं उनमें से 14 पद खाली हैं।
इसी प्रकार अराजपत्रित अधिकारी के 320 कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 130 पद खाली हैं। 3 पद चालक के स्वीकृत हैं, तीनों ही खाली हैं। वाटर मैन के 108 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 100 पद खाली हैं। स्वीपर के 32 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 9 खाली हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 4 पद हैं, जिनमें से 3 खाली हैं इस प्रकार इनके 147 पदों में से 112 खाली हैं।
कम्पाउण्डर चला रहे हैं अस्पताल
स्टाफ की कमी से जूझ रहे पशुचिकित्सा विभाग बड़े अस्पतालों में ही कहीं पर चिकित्सक हैं तो कहीं पर कम्पाउण्डर नहीं है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व सफाईकर्मी की तो बात ही दूर। उदाहरणार्थ प्रथम श्रेणी के छारेड़ा पशु चिकित्सालय में मात्र एक चिकित्सक ही है वहां न तो कम्पाउण्डर है और ना ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। पापड़दा पशु चिकित्सालय में मात्र एक ही कम्पाउण्डर कार्यरत है। नांगलराजावतान पशु चिकित्सालय में चतुर्थ श्रेणी कम्पाउण्डर नहीं है तो लाड़लीकाबास में चिकित्सक नहीं है। ऐसे एक नहीं बल्कि दर्जनों पशुचिकित्सालय है जिनकी हालत दयनीय है।
पर्याप्त भवनों का भी है अभाव
स्टाफ ही नहीं पशुचिकित्सा विभाग के पास अधिकांश स्थानों पर पर्याप्त भवनों का भी अभाव है। उदाहरणार्थ पापड़दा में करीब डेढ़ दशक से ग्राम पंचायत के एक कमरे में पशु चिकित्सालय चल रहा है। यहां पर न तो बीमार पशुओं को खड़े करने की जगह है और नहीं पर्याप्त संसाधन हैं।
फैक्ट फाइल
1. जिले में स्वीकृत अस्पताल व सब सेंटर -187
- बंद पड़े अस्पताल व सब सेंटर- 33
2. जिले में स्वीकृत राजपत्रित अधिकारी पद- 75
- खाली पद- 14
3. जिले में अराजपत्रित अधिकारियों के स्वीकृत पद - 320
- खाली पद- 130
4. जिले में अराजपत्रित कर्मचारियों के स्वीकृत पद - 147
- खाली पद - 112
स्टाफ की कमी तो है ही...
विभाग में स्टाफ की कमी तो है, लेकिन जितना स्टाफ व संसाधन उपलब्ध हैं। उससे ही अच्छा काम कर रहे हैं। स्टाफ लगाना तो सरकार का काम है। उसमें तो वे भी कुछ नहीं कर सकते हैं।
- डॉ. निरंजन शर्मा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग दौसा
Published on:
19 Oct 2019 08:47 am
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