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उत्तराखंड में घटी पर्यटकों की संख्‍या,पर्यटन को पटरी पर लाने की कोशिश में सरकार

विदेशी पर्यटकों के बारे में यह माना जा रहा है कि यहां साहसिक पर्यटक को लेकर बनी ढुलमुल नीति की वजह से विदेशी पर्यटक आने से कतरा रहे हैं। देशी पर्यटक दैवीय आपदा की वजह से उत्तराखंड आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं...

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(देहरादून): प्रदेश में आगामी 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाने की तैयारी काफी जोरों से चल रही है। सरकार को लग रहा है कि इस मौके पर देश और विदेश से काफी संख्या में पर्यटक आएंगे। देहरादून से लेकर नैनीताल तक पर्यटन विभाग व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटा हुआ है। विश्व पर्यटन दिवस में पर्यटक सैर सपाटे के लिए आएंगे या नहीं। यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इस साल पर्यटकों के आगमन के लिहाज से उत्तराखंड की स्थिति ठीक ठाक नहीं रही है। इसके पीछे प्राकृतिक आपदा को विशेष रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है। विदेशी पर्यटकों के बारे में यह माना जा रहा है कि यहां साहसिक पर्यटक को लेकर बनी ढुलमुल नीति की वजह से विदेशी पर्यटक आने से कतरा रहे हैं। देशी पर्यटक दैवीय आपदा की वजह से उत्तराखंड आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।


विदेशियों की घटती संख्या सरकार के लिए बनी चिंता

दरअसल उत्तराखंड में कुल 28 स्थानों पर सबसे ज्यादा विदेशी और देशी दोनों ही पर्यटक आते हैं। जिसमें मुख्य रूप से ऋषिकेश, मसूरी, कोटद्वार, बद्रीनाथ, औली, हेमकुंड साहिब,फूलों की घाटी,कार्बेट नेशनल पार्क और नैनीताल शामिल हैं। बीते वर्षों पर नजर डाले तो 2012 में अब तक के सबसे अधिक 140524 विदेशी पर्यटक आए। 2012 के बाद से विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आई है जो 2018 तक 11234 तक पहुंच गई। विदेशी पर्यटकों की कम होती संख्या को लेकर पर्यटन विभाग निश्चित रूप से चिंतित है।

साथ ही पर्यटन विभाग इस कोशिश में भी जुटा हुआ है कि गोपेश्‍वर, श्रीनगर, जोशीमठ, हरिद्वार, उत्तरकाशी और चंपावत स्थित पर्यटन स्थलों को विदेशी मेहमानों की मानसिकता के हिसाब से ठीक किया जाए। इसको लेकर पर्यटन विभाग जरूरी कसरत कर रहा है। लेकिन इसमें अभी कितना समय लगेगा। यह बताने की स्थिति में कोई भी अधिकारी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पर्यटन विभाग के पास भी आर्थिक संकट है।


सूत्रों के मुताबिक पर्यटन विभाग जल्द ही एक प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेजने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि पर्यटन विभाग होम स्टे की व्यवस्था को भी दुरुस्त करने के लिए नए सिरे से प्लानिंग कर चुका है। ऊधम सिंह नगर गंगोत्री, यमुनोत्री, रानीखेत और पौड़ी में होम स्टे के लिए खास प्लानिंग बनाई जा चुकी है क्योंकि इन स्थानों में विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा पहुंचते हैं। साथ उनकी रुचि होम स्टे में ठहरने में ज्यादा रहती है।

देशी पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट आई

जहां तक उत्तराखंड में देशी पर्यटकों का सवाल है। देशी पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब में भी पर्यटक या फिर तीर्थयात्रियों की संख्या कम हुई है। सरकार भले ही दावा कर ले कि इस सीजन में पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन सच्चाई तो यह है कि पर्यटन विभाग के आंकड़े ही बता रहे हैं कि इस साल देशी पर्यटकों की संख्या में भी कमी आई है। वर्ष 2011 में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब को मिलाकर कुल 2864889 लाख थी जो 2018 तक 2283018 लाख पहुंच गई है।

देशी पर्यटकों के लिए व्यवस्थाओं की जुगत में सरकार


देशी पर्यटकों की कमी से भी पर्यटन विभाग बेहद चिंतित है। पर्यटन विभाग से मिली जानाकरी के मुताबिक सबसे ज्यादा देशी पर्यटक देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, फूलों की घाटी, कौसानी, बागेश्वर, काठगोदाम और कार्बेट नेशनल पार्क आते हैं। पर्यटन विभाग देशी पर्यटकों के हिसाब से खान पान और ठहरने की व्यवस्था को नए सिरे से अध्ययन कर रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा देशी पर्यटक सैर सपाटे के लिए उत्तराखंड आ सकेंं।