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उत्तराखंड के श्रमिकों का केवल बातों में हो रहा भला, दो निरीक्षकों के हवाले प्रदेश की फैक्टरियां

ये निरीक्षक कभी भी एक साल में पूरी फैक्टरियों का जांच नहीं कर पाते हैं। इससे फैक्टरियों में श्रमिकों की वास्तविक स्थित क्या है? इसकी सही जानकारी नहीं लग पाती है...

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uttarakhand cm file photo

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(पत्रिका ब्यूरो,देहरादून): उत्तराखंड सरकार श्रमिक हित की बात खूब करती है। सरकार दावा भी करती है कि श्रम कानून को सशक्त करने के लिए कई कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। लेकिन श्रमिक हित की बात करने वाली उत्तराखंड की सरकार के पास मात्र 2 ही निरीक्षक हैं जो प्रदेश की कुल साढ़े तीन हजार फैक्टरियों का निरीक्षण करते हैं। हालांकि अन्य प्रदेशों की तरह उत्तराखंड में भी आनलाइन निरीक्षण किया जाता है। लेकिन इससे श्रमिकों को कोई फायदा नहीं पहुंच रहा है। यदि थोड़ा बहुत लाभ श्रमिकों को मिलता है तो वह फैक्टरियों में पहुंचकर पड़ताल करने वाले निरीक्षकों से ही होता है। लेकिन विडम्बना यह है कि मात्र 2 ही निरीक्षक फैक्टरियों का मुआयना करते हैं। ये निरीक्षक कभी भी एक साल में पूरी फैक्टरियों का जांच नहीं कर पाते हैं। इससे फैक्टरियों में श्रमिकों की वास्तविक स्थित क्या है? इसकी सही जानकारी नहीं लग पाती है।

होने चाहिए 27 निरीक्षक पर केवल 2 के भरोसे हो रहा काम

दरअसल श्रम कानून का मानक है कि 150 फैक्टरियों पर 1 निरीक्षक होना आवश्यक है। यहां बताना जरूरी है कि अन्य सभी पर्वतीय राज्यों में जहां फैक्टरियां हैं वहां की सरकारें इस मानक को पूरा कर रही हैं। यह मानक पर्वतीय राज्यों में एक समान ही है। इस तरह से उत्तराखंड में कुल 27 निरीक्षकों की आवश्यकता है जो नियमानुसार तीन श्रेणियों में बंटे कम खतरनाक ,खतरनाक और अति खतरनाक फैक्टरियों की पड़ताल समय पर कर सकें। लेकिन निरीक्षकों की कमी की वजह से किसी भी श्रेणी की फैक्टरियों की पड़ताल नहीं हो पाती है।


सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में करीब 1000 एेसी फैक्टरियां हैं जिनका रजिस्ट्रेशन,लाइसेंस रिन्यूवल और औद्योगिक दुर्घटना सुरक्षा समीक्षा करना अति आवश्यक है। करीब 5 साल यह काम होना बाकी है। उत्तराखंड में उद्योग समिट 2018 संपन्न होने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी एक साल में काफी संख्या में कल कारखाने प्रदेश में स्थापित होंगे। ऐसे में यदि निरीक्षकों की संख्या में इजाफा तत्काल प्रभाव से नहीं किया गया तो श्रमिकों का भला कहां से हो पाएगा।


पांच पदों पर होगी भर्ती पर इससे भी नहीं चलेगा काम

एक विभागीय वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि काफी मशक्कत के बाद निरीक्षकों के 5 पद स्वीकृत पिछले दिनों ही हुए हैं। जिनमें एक दो तो पदोन्नति से भी श्रम विभाग में आएंगे। शेष आयोग से आएंगे। अभी फाइल चल रही है। इसमें दो से तीन माह तो लग ही जाएगा। अधिकारी के मुताबिक लेकिन इससे भी समस्याएं नहीं सुधरेंगी। मानक के मुताबिक 27 निरीक्षक जब तक नहीं होंगे तब तक श्रमिकों का भला नहीं हो पाएगा। लिहाजा सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

अनलाइन पड़तालों को किया जा रहा प्रभावित

सूत्रों के मुताबिक आनलाइन पड़ताल की जाती है। लेकिन यह आनलाइन प्रक्रिया श्रमिक हित में नहीं है। क्योंकि आनलाइन किस दिन पड़ताल होगी। इसकी आधिकारिक जानकारी फैक्ट्री मालिक को दे दी जाती है। ताकि फैक्ट्री मालिक आवश्यकता के मुताबिक सारे कागजात अपने साथ रखें और आनलाइन भरते समय मदद करे। आनलाइन जिस दिन जांच की जाती है उस दिन जिला प्रशासन और जिला श्रम विभाग के अधिकारी भी आनलाइन पड़ताल में शामिल रहते हैं। लेकिन आन लाइन में श्रमिकों की संख्या के अलावा और कुछ भी शामिल नहीं किया जाता है।

केवल आनलाइन जांच से नहीं होगा भला

दरअसल इंस्पेक्टर राज्य खत्म करने के मकसद से पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए आनलाइन व्यवस्था शुरू की गई है लेकिन इससे श्रमिकों का भला नहीं हो रहा है। श्रम विभाग भी मानता है कि श्रमिक हितों को समझने और उनकी कठिनाइयों को दूर करने के लिए फैक्टरियों का निरीक्षण जरूर है। इसके लिए निरीक्षकों की संख्या में वृद्धि काफी जरूरी है।

नए पदों के सृजन के लिए चल रही बात

इस बारे में संयुक्त सचिव एसएस वल्दिया का कहना है कि कुछ और पदों के सृजन की बात चल रही है। कुछ पद स्वीकृत भी हुए हैं। जल्द ही निरीक्षकों की संख्या में वृद्धि हो जाने की उम्मीद है। सरकार की मंशा श्रमिकों की कठिनाइयों को दूर करना है ताकि प्रदेश का श्रमिक खुशहाल रहे।


‘ श्रमिक हित सर्वोपरि है। रिक्त पदों पर नियुक्तियां शीघ्र की जाएंगी। प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी हैं। काफी पहले से ही पद रिक्त है। वर्तमान सरकार श्रमिकों को लेकर काफी गंभीर है। ’ डा.हरक सिंह रावत ,श्रम मंत्री ,उत्तराखंड