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(पत्रिका ब्यूरो,देहरादून): नैनीताल झील से जुड़ा बलियानाला और उत्तरकाशी का महत्वपूर्ण वरुणावत पर्वत का अब तक ट्रीटमेंट शुरू नहीं होने से भूवैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। वरुणावत पर्वत पिछले डेढ़ माह से ट्रीटमेंट का इंतजार कर रहा है। डेढ़ माह पहले जब वरुणावत पर्वत से बोल्डर गिरने शुरू हुए तो शासन -प्रशासन में काफी हडकंप मच गया और तुरंत आपदा प्रबंधन की अगुआई में भू वैज्ञानिकों की टीम वरुणावत पर्वत पर भेजी गई।
टीम में शामिल भू वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया कि आगामी एक पखवाड़े के अंदर वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाए। वरना वरुणावत पर्वत से ज्यादा बोल्डर गिरेंगे। साथ ही मुख्य सडक़ को भी खतरा है। लेकिन भू वैज्ञानिकों के सुझावों पर सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। जिससे अब तक वहां पर ट्रीटमेंट शुरू नहीं हो पाया है। वरुणावत पर्वत के तम्बा खाणी के उपरी हिस्से से अब भी बोल्डर गिरते रहते हैं। जिससे निकटवर्ती क्षेत्रों में दहशत फैल जाती है। ट्रीटमेंट भी तम्बा खाणी का ही होना है। वरुणावत की वास्तविक स्थिति को लेकर शासन में रिपोर्ट जमा हो चुकी है। पर ट्रीटमेंट अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
नैनीताल झील से जुड़े बलियानाला की भी स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। बलियानाला को लेकर भी भू वैज्ञानिक अपनी रिपोर्ट शासन को दे चुके हैं। यहां भी एक सप्ताह के अंदर ही ट्रीटमेंट शुरू किया जाना था लेकिन नहीं हो पाया है। भू वैज्ञानिक प्रो. शिवानंद का कहना है कि बलियानला अब काफी संवेदनशील हो गया है। वैज्ञानिक पद्धति से ही इसका ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए। ट्रीटमेंट में देरी होने से भविष्य में काफी दिक्कत आ सकती है।
वहीं आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डा.पीयूष रौतेला के मुताबिक पीडब्ल्यूडी को शेष कार्य करना है। टेंडर होने में समय लगता है। पर वरुणावत और बलियानाला की गंभीरता को देखते हुए कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द दोनों का ट्रीटमेंट शुरू किया जाए।
Published on:
19 Oct 2018 08:32 pm
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