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बारिश की खेंच से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें…कई जगह मुरझाने लगीं सोयाबीन, मक्का व मूंगफली की फसलें

उत्पादन पर असर पडऩे की आशंका के साथ ही रबी सीजन में सिंचाई के लिए पानी की कमी होने की आशंका

देवासAug 27, 2023 / 01:52 pm

Satyendra Singh Rathore

बारिश की खेंच से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें...कई जगह मुरझाने लगीं सोयाबीन, मक्का व मूंगफली की फसलें

बारिश की खेंच से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें…कई जगह मुरझाने लगीं सोयाबीन, मक्का व मूंगफली की फसलें

देवास/सिया/भमोरी. भमोरी एवं आसपास के क्षेत्र में जून माह में जोरदार बारिश एवं खरीफ फसलों के अच्छे अंकुरण से किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर थी। लगातार एक माह पानी गिरने से फसल की बढ़वार भी अच्छी थी लेकिन 15 दिन की लंबी खेच के कारण खेतों में दरारें पडऩे लगी हैं। सोयाबीन, मक्का, मूंगफली एवं अन्य फसलें कई जगह मुरझाने लगी हैं। भमोरी के किसान सन्तोष पाटीदार, हुकमचंद पाटीदार, गोविंदराम पाटीदार, रामचंद्र जायसवाल, राजेश पाटीदार, इन्दर मालवीय ने बताया कि 25 जून की फसलें अभी दो महीने की हुई हंै अभी एक महीने पानी की और जरुरत है। अभी सोयाबीन फसल में दाने भी नहीं भराए हैं, दो तीन बार पानी तेज और गिरे तभी फसलें पकेंगी। फिलहाल वाटर लेवल बहुत कम है। बारिश की कमी से कुएं, बावड़ी भी नहीं भरे हैं।
बारिश की कमी से उत्पादन घटने की आशंका

एबी रोड स्थित सिया क्षेत्र में कई दिनों से बारिश नहीं होने से किसान चिंतित हैं। किसान अमित कुमावत ने कहा अगर जल्द बारिश नहीं होती है तो सोयाबीन के उत्पादन पर इसका असर पड़ेगा। वर्तमान में सोयाबीन फसल में हीं फूल तो कहीं दाने भरने की स्थिति है। अभी तक क्षेत्र में अच्छी बारिश नहीं हो पाई है। इस कारण तालाब, कुएं, बावड़ी, पूरी तरह से खाली पड़े हैं। पानी की कमी का असर आगामी रबी फसल पर भी पडऩे की आशंका है।
रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए बावड़ीखेड़ा में बाग रसोई

करीब एक पखवाड़े से क्षेत्र में बारिश के अभाव एवं तेज धूप के चलते जहां फसलों की स्थिति खराब होती जा रही है वहीं किसानों के चेहरे पर भी चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है। रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए ग्रामीण तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। शनिवार को समीपी ग्राम बावड़ीखेड़ा में ग्रामीण एवं किसानपरिवारों द्वारा बाग रसोई करते हुए गांव से बाहर खेत में खाना बनाया गया।
इस वर्ष फसलों की स्थिति एक पखवाड़े पूर्व तक बेहतर थी लेकिन इसके बाद मानसून की बेरुखी से फसलों की स्थिति खराब होने लगी है। हल्की जमीन में सोयाबीन की फसल तेज धूप की मार सहन नहीं कर पा रही है। यदि एक दो दिन में पानी नहीं गिरता है तो क्षेत्र में फसलों की स्थिति भयावह हो जाएगी इसे लेकर किसानों में खासी चिंता है। क्षेत्रवासी रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए कहीं टोटके तो कहीं ईश्वर की शरण का सहारा ले रहे हैं। बावड़ीखेड़ा के वसूली पटेल रामहेत पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम पटेल, कन्हैया पटेल, सीताराम मीणा, विजेंद्र पटेल, भूपेंद्र पटेल, संदीप जायसवाल ने बताया कि ग्रामीणों ने बाग रसोई का आयोजन किया साथ ही खेड़ा पूजन कर इंद्रदेव को प्रसन्न करने के जतन किए गए वहीं क्षेत्र के प्रसिद्ध श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर पर भी गत दिवस खड़ी सप्ताह का आयोजन कर भरपूर बारिश की कामना की गई। क्षेत्र के किसान मनोहरलाल एल्छा, सरपंच भारत सिंह ऊलालिया, मयंक अकोतिया, जलाल खां नायता ने बताया कि यदि शीघ्र ही बारिश नहीं होती है तो इस वर्ष फसलों की स्थिति खराब रहेगी और उत्पादन को भरपूर झटका लगेगा।
कृषि विभाग ने दी किसानों को सलाह

-बारिश की खेंच के चलते भूमि में दरारें पडऩे के पूर्व फसल में हल्की सिंचाई करें। साथ ही नमी संरक्षण के लिए वैकल्पिक उपाय जैसे 5 टन प्रति हेक्टेयर भूसे की पलवार बिछाएं।
-यदि आगामी वर्ष के लिए उपयोगी सोयाबीन बीज का बीजोत्पादन कर रहे हैं तो शुद्धता बनाए रखने के लिए फूलों के रंग, पत्तियों, पौधे की उंचाई इत्यादि के आधार पर यदि भिन्न किस्म के पौधे हो तो उसे खेत से निकालें।-जहां पर पीले मोजेक वायरस रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं वहां इसके प्रारंभिक लक्षण दिखते ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाडक़र बाहर करें। इन रोगों को फैलाने वाले रसचूसक कीट जैसे सफेद मक्खी/जैसिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रेप लगाएं।
-सोयाबीन फसल के घने होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की आशंका होती है। ऐसी स्थिति में प्रारंभिक अवस्था में ही दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/ग्रसित पत्तियों को तने से तोडक़र नष्ट कर दें।-पौध संरक्षण हेतु अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंदनाशक) का छिडक़ाव करें। किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें, जिस पर बैंच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट रूप से अंकित हो।
(उपसंचालक कृषि देवास आरपी कनेरिया के अनुसार।)

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