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VIDEO : जैन समाज में चल रही भक्ति

झूमते, नाचते, गाते मनाया प्रभु का जन्म कल्याणक स्नात्र महोत्सव

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देवास

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Amit Mandloi

Aug 20, 2018

dewas

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देवास.
रूढ़ा रंगीला सपना देखे प्रभुवर मात, घर घर मां आनंद छवायो त्रिशला माता कुखे जनमियो पूनम नो चंद्र, भक्ति की सौगात प्रभुवर आज थारे आणो है...। इन भक्ति गीतों के मधुरम स्वरों के साथ श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर तुकोगंज रोड पर प्रभु का जन्म कल्याणक स्नात्र महोत्सव धूमधाम से मनाया।

इस अवसर पर बडी संख्या में महिला पुरूष एवं नवयुवक उपस्थित होकर प्रभु जन्मोत्सव मनाया। अरिहंत परमात्मा श्री पाश्र्वनाथ प्रभु एवं महावीर स्वामीजी की माता द्वारा देखे गए अद्भुत 14 स्वप्नों के मंचन से लेकर प्रभु के जन्माभिषेक के लिए मेरू पर्वत की सुंदर रचना की गई। 56 दिक्ककुमरी द्वारा मोर पंख, चामर, पंखा, दर्पण, दीप एवं कलश नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति ने जन समुदाय का मन मोह लिया। स्नात्र महोत्सव के दौरान जब अरिहंत परमात्मा का जन्म हुआ तो उपस्थित जन समुदाय ने झूमते, नाचते, गाते हुए प्रभु जन्म की खुशी व्यक्त की। इंद्र महाराज द्वारा जन्म के पश्चात प्रभु को मेरू पर्वत पर ले जाकर जन्माभिषेक किया गया। भगवान के माता पिताए इंद्र इंद्राणी एवं 56 दिक्कुमरी की रचना, जन्म महोत्सव को अति भव्य स्वरूप प्रदान किया। छड़ीदार ने प्रभु के जन्म की उद्घोषणा की तथा प्रभु चरणों में घणीखम्मा समर्पित किया। सुलसा बहु मंडल ने आकर्षक गरबे की प्रस्तुति के साथ इस उत्सव को मनाया। उपस्थित मातृशक्ति ने भक्ति गीतों पर जमकर नृत्य किया। भक्ति गीतों की प्रस्तुति विजय जैन, वैभव जैन एवं गौरव जैन ने दी।

(देखे वीडियो )

इस अवसर पर प्रभु जन्म कल्याणक पर प्रकाश डालते हुए साध्वीजी शीलगुप्ता श्रीजी एवं शीलभद्रा श्रीजी ने कहा कि जिस परमात्मा के जन्म के समय विश्व एवं नारकी के समस्त जीवों को सुख एवं शांति की अनुभूति होती है ऐसे तीर्थंकर परमात्मा का जन्म कल्याणक भक्ति योग में तल्लीन होकर मनाना हमारा पुण्य कर्तव्य है। अपने इस जन्म को सार्थक बनाने के लिए प्रभु के जन्म कल्याणक को इसी भावना एवं हर्षोल्लास के साथ सदैव मनाना चाहिए। जिस प्रकार प्रभु के मन में स्व कल्याण के साथ जन कल्याण की उभय भावना थी उसी मार्ग पर आगे बढ़ते हुए हमें स्व कल्याण एवं जनकल्याण की शुभ भावना के साथ प्रभु का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। आज प्रभु से प्रार्थना करना है कि हमने बाह्य एश्वर्य एवं सुख तो प्राप्त कर लिया है लेकिन अब हमें आंतरिक एश्वर्य एवं सुख की कामना है। प्रभु आंतरिक एश्वर्य के धनी है और हमें परमात्मा से वही मांगना है। स्नात्र महोत्सव का लाभ मांगीबाई रखबचंद मिनेष कटारिया परिवार ने प्राप्त किया। साधर्मिक भक्ति का लाभ विशाल कुमार पारस कुमार तांतेड़ कोटावाला परिवार ने लिया। इस अवसर पर विलास चौधरी, अशोक जैन , प्रेमचंद शेखावत, शैलेन्द्र चौधरी, दीपक जैन, भरत चौधरी, राकेश तरवेचा, अजय मूणत, अतुल जैन, राजेन्द्र जैन, मनोज कटारिया, संतोष सेठिया, संजय कटारिया, विलास तरवेचा, वीरेन्द्र जैन, जमनालाल जैन, हुकमचंद तेजावत, शांतिलाल जैन, मांगीलाल जैन आदि बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।