
विकास की गति कर रही है कृषि का रकबा कम
बदनाावर.
विकास की तेज रफ्तार ने कृषि भूमि का रकबा कम कर दिया है। जहां एक और उज्जैन से बदनावर फोरलेन रोड बन रहा है जिसमें बदनावर तहसील की तीन से चार पंचायत की कृषि भूमि इसमें जा रही है । खेड़ा पंचायत की 300 बीघा जमीन ढोलाना पंचकवासा बामनसुता की करीब 500 बीघा की जमीन इस रोड में चली गई है । इसी तरह वंडर सिमेंट, सोयाबीन प्लांट भी डले है हालांकि ये सरकारी भूमि है। पूर्व में लोग यहां खेती कर ते थे। पश्चिम क्षेत्र में आ रही कई फैक्ट्री किसानों की जमीन पर आकर लेगी। जहां एक ओर उद्योग धंधे बढ़ रहे है दूसरी ओर कृषि उत्पादन घट रहा है जिन । खेतों में सोयाबीन, गेहूं, चने लाखो क्विंटल पैदा होते थे आज वहां पर रोड और फैक्ट्रियां बन रही है एक अनुमान के अनुसार करीब करीब 2 लाख क्विंटल गेहूं उत्पादन कम होगा। इस तरह देखा जाए तो धीरे धीरे कृषि भूमि का रकबा घट रहा है और विकास के नाम पर फैक्ट्रियां एक ओर जहां बढ़ रही है नित नए रोड बन रहे है और शासन अपनी पीठ थपथपा रहा है। कपडा उद्योग की फैक्ट्री लगभग 80 बीघा जमीन में बन रही है।
इनके द्वारा हुआ कृषि का रकबा कम
जिन क्षेत्रों में कॉलोनियां कटी है फैक्ट्रियां बन रही है वह सभी भूमि मालवा की गहरी मिट्टी होकर बहुत उपजाउ भूमि है। अगर उपजाउ भूमि पर ही इसी तरह बिना सोचे समझे निर्माण होते रहे तो एक दिन कृषि का उत्पादन बहुत कम हो जाएगा। ऐसे ही कृषि भूमि पर पवन चक्की, विद्युत झुमर लाईन, फोरलेन, उद्योगों का निर्माण कार्य ऐसे ओर भी कई निर्माण कार्य है जो उपजाउ भूमि पर होकर रकबा घटा रहे है।
बंजर भूमि पर हो निर्माण कार्य
बदनाावर क्षेत्र के पश्चिम भाग में हजारों बीघा जमीन ऐसी है जो अनुपयोगी होकर बंजर है । अगर यहां पर उद्योग डलते है तो 2 लाभ होंगे एक तो उपजाउ भूमि बच जाएगी दूसरी ओर बंजर भूमि का उपयोग होने लगेगा और कृषि उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा। शासन को उपजाउ भूमि पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर बंजर भूमि को विकसीत करने में ध्यान लगाना चाहिए। जिससे इस क्षेत्र का विकास भी हो लोगों को रोजगार भी मिलें और देश व प्रदेश का भी फायदा हो।
अभी सिर्फ रोजगार का सपना
वर्तमान में उद्योग आकार नहीं ले रहे है उसके पूर्व हजारों लोगों को रोजगार देने का वादा किया जा रहा है। एक कंपनी में हजारों लोगों को नौकरी देने की बात की जा रही है जबकि सूत्रों की मानें तो फैक्ट्री फुल्ली आटोमेटिक है। धरातल पर यह देखने में आया है कि बदनावर क्षेत्र में वंडर सीमेंट ,सोयाबीन प्लांट , कश्यप फैक्ट्री या सुजलोन ( पवन चक्की बनाने का उद्योग ) आदि उद्योग धंधे संचालित हो रहे है लेकिन यह सभी प्लांट ऑटोमेटिक होकर नाम मात्र लोगों को रोजगार दे रहे है। जबकि कृषि क्षेत्र में अधिक लोगों को रोजगार मिलता है ।
स्थानीय लोगों को नहीं देते है रोजगार
अधिकांश बेरोजगार युवाओं की शिकायत है कि यह जितनी भी बडे बडे उद्योग क्षैत्र में हैं । स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार नहीं देते है और भी दे देते है तो उनका बहुत शोषण करते है और मजबूरन नौकरी छोडऩा पड़ती है । छोटे पदों पर या मजदूरी लेवल पर रख कर ही स्थानीय शिक्षित बेरोजगारों को संतुष्ट कर देते है जबकि बाहरी लोगों को अच्छे पद नौकरी देते है।
Published on:
12 Feb 2023 07:53 pm
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