
विशेष है 2024 की अपरा एकादशी
एकादशी तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होती है, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की यह एकादशी सभी एकादशी में विशेष है, जिसे अपरा एकादशी और अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान सूर्य और भगवान शिव की पूजा का विधान है। इसके अलावा इस दिन स्नान, दान और श्राद्ध, तर्पण का भी महत्व होता है। इस कारण यह एकादशी खास है।
अपरा एकादशी पर करना चाहिए इन मंत्रों का जाप
प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार भगवान विष्णु जगत के पालक हैं और उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है। रोजाना भगवान विष्णु का ध्यान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। धन-वैभव की प्राप्ति होती है। आचार्य पाण्डेय के अनुसार लोगों को प्रतिदिन भगवान विष्णु के किसी न किसी मंत्र का जाप करना चाहिए, लेकिन ऐसा संभव नहीं है तो खास अवसरों जैसे एकादशी या गुरुवार के दिन इनका जाप जरूर करना चाहिए। भगवान विष्णु का स्मरण कर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी होता है।
श्रीहरि का मूल मंत्र
ॐ नमो नारायणाय॥
श्रीहरि के शीघ्र फलदायी, चमत्कारी मंत्र
1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
2. ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम:।।
धन-समृद्धि के लिए विशेष मंत्र
1. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
धन लाभ के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
भगवान विष्णु के पंचरूप मंत्र
1. ॐ अं वासुदेवाय नम:
2. ॐ आं संकर्षणाय नम:
3. ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
4. ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
5. ॐ नारायणाय नम:
6. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
एकदम सरल और लाभदायी मंत्र
1. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
2. ॐ हूं विष्णवे नम:।
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
श्री विष्णु मंत्र
मंगलम् भगवान विष्णुः, मंगलम् गरुणध्वजः।
मंगलम् पुण्डरीकाक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
विष्णु स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥
Updated on:
28 May 2024 11:34 am
Published on:
14 May 2023 09:04 pm
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