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चमत्कारी सूर्य स्तुति पहली पाठ करते ही होने लगते हैं चमत्कार

locationभोपालPublished: May 09, 2020 02:28:37 pm

Submitted by:

Shyam

सिद्ध सूर्य स्तुति पाठ

चमत्कारी सूर्य स्तुति पहली पाठ करते ही होने लगते हैं चमत्कार

चमत्कारी सूर्य स्तुति पहली पाठ करते ही होने लगते हैं चमत्कार

आदि देव सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव ही इस सृष्टि के जीवन के प्राण आधार माने जाते हैं। अगर जीवन में आने वाले आपदाओं, संकटों, शत्रु भय, धन का अभाव आदि कई समस्याओं से मुक्ति चाहते हो तो हर इस सूर्य स्तुति का पाठ सूर्योदय के समय जरूर करें। ऐसा करने से साधके जीवन में बार-बार सूर्य कृपा के चमत्कार दिखाई देने लगते हैं। जानें किसी सूर्य स्तुति के पाठ से होती है कामनाएं पूरी।

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।। अथ सूर्य स्तुति पाठ ।।

जो भी साधक हर रोज उगते सूर्य के सामने बैठकर भगवान सूर्य की इस स्तुति का पाठ अर्थ सहित करता है, सूर्य नारायण की कृपा से उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है।

1- श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।

अर्थात- यह सूर्य कवच शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है।

2- देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।

ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।

अर्थात- चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें।

चमत्कारी सूर्य स्तुति पहली पाठ करते ही होने लगते हैं चमत्कार

 

3- शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।

नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।

अर्थात- मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें।

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4- ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।

अर्थात- मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।

चमत्कारी सूर्य स्तुति पहली पाठ करते ही होने लगते हैं चमत्कार

5- सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।

अर्थात- सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती है।

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6- सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।

अर्थात- स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है।

अगर इस स्तुति का पाठ कोई साधक लगातार एक माह तक करता है उसके जीवन में कभी समस्या रूपी अंधकार नहीं आ सकता।

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