
श्राद्धि पूर्णिमा पर भद्रा का साया
भाद्रपद पूर्णिमा को श्राद्धि पूर्णिमा और प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहते हैं। यह पितृ पक्ष शुरू होने से एक दिन पहले पड़ता है, इस दिन भी श्राद्ध का विधान है। हालांकि यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिए महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किए जाते हैं।
सामान्यतः पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से शुरू होता है। इस दिन भी श्राद्ध कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त में करने चाहिए, अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए और श्राद्ध के अंत में तर्पण करना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि प्रारंभः मंगलवार 17 सितंबर 2024 को सुबह 11:44 बजे से
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि समाप्तः बुधवार 18 सितंबर 2024 को सुबह 08:04 बजे तक
पूर्णिमा श्राद्धः मंगलवार 17 सितंबर 2024 को
कुतुप मूहूर्तः 17 सितंबर को सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12:40 बजे तक
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
रौहिण मूहूर्तः दोपहर 12:40 बजे से दोपहर 01:29 बजे तक
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
अपराह्न कालः दोपहर 01:29 बजे से दोपहर 03:56 बजे तक
अवधि - 02 घण्टे 27 मिनट्स
भद्रावासः सुबह 11:44 बजे से रात 09:55 बजे तक (भद्रा जब पृथ्वी पर वास करती है तो यह अशुभ माना जाता है, पृथ्वी के प्राणियों को कष्ट पहुंचाती है)
रवि योगः सुबह 06:07 बजे से दोपहर 01:53 बजे तक
Updated on:
13 Sept 2024 02:23 pm
Published on:
13 Sept 2024 02:20 pm
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