
Bhagwan Shiv Mythology
Bhagwan Shiv Mythology: धार्मिक ग्रंथों में भगवान शंकर और ब्रह्मा जी से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक कथा ऐसी भी है जिसमें भगवान शंकर ने ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया था। इस घटना के पीछे कई अहम कारण माने जाते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे दो रोचक तथ्यों के बारें में।
धार्मिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी के शुरू में पांच सिर थे। जिनमें से एक सिर उनके अंदर के अहंकार में रहता था। क्योंकि ब्रह्मा ने सृष्टी की रचना की है। उन्होंने स्वयं को श्रेष्ठ समझते हुए दूसरों का सम्मान करना छोड़ दिया। भगवान शंकर को ब्रह्मा जी यह अहंकार पसंद नहीं आया। क्योंकि महादेव विनम्रता और सत्य के प्रतीक हैं।
मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा जी वासना में चूर थे। उनकी नजर सुंदरी सतरूपा पड़ी। उसन ब्रह्मा जी से बचने के अथक प्रयास किया लेकिन वो असफल रही। वह अपने आप को बचाने के लिए ऊपर की ओर देखने लगी। लेकिन ब्रह्मा अपनी शक्तियों से अपना एक सिर ऊपर की ओर विकसित कर लिया। भगवान शिव को ब्रह्मा की यह हरकत घोर पाप लगी और क्रोध में आकर उन्होंने ब्रह्मा जी के वासना से भरे इस पांचवे सिर को काट दिया।
मान्यता है कि ब्रह्मा जी का एक सिर हमेशा ऊपर की ओर रहता था। जो अक्सर लोगों का अपमना करता था और शंकर भगवान के प्रति बुरी बातें करता था। ब्रह्मा जी के इस अहंकार से ऋषि-मुनि और देवता भी परेशान हो गए। जब भगवान शिव ने देखा कि ब्रह्मा जी का अहंकार बढ़ता जा रहा है। साथ ही उनका पांचवां सिर अधर्म को बढ़ावा दे रहा है। तब उन्होंने ब्रह्मा जी को उचित दंड देने का निर्णय लिया।
धार्मिक कथाओं के मुताबिक भगवान शंकर बहुत ही सरल और निर्मल स्वाभव को पसंद करते हैं। क्योंकि उनका हृदय बहुत ही कोमल और निर्मल है। लेकिन जब किसी का अहंकार या अत्याचार बढ़ता है तो शिव उसको तत्काल दंड भी देते हैं। ऐसा ही भगवान शंकर ने ब्रह्मा जी के साथ किया किया था। उनके अहंकार को सबक सिखाने के उद्देश्य से पांचवें सिर को काट दिया। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी को अपने अहंकार का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शंकर से क्षमा मांगी।
Published on:
12 Dec 2024 11:56 am
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