
Ramayan Fact
Ramayan Fact: रामायण में भगवान श्रीराम की वनवास के दौरान कई भक्तों ने सहायता की है। जिसमें हनुमान जी उनके सबसे बड़े भक्त थे। साथ ही उनकी सबसे कठिन घड़ी में सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे। लेकिन क्या आपको पता है हनुमान जी को लंका तक पहुंचाने में स्वयंप्रभा ने मदद की थी। आइए जानते हैं कौन थी स्वयंप्रभा? जिसकी सहायता से हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया था।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार स्वयंप्रभा गंधर्व की बेटी के साथ-साथ दिव्य महिला थी। इसका जिक्र किष्किंधा कांड में मिलता है। जब हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए लंका जा रहे थे। तब हनुमान जी की मुलाकात रास्ते में स्वयंप्रभा से हुई थी। मान्यता है कि स्वयंप्रभा भगावन श्रीराम की भक्त थी। उसका आश्रम मयासुर द्वारा निर्मित मायावी गुफा स्थित था। जब उसकी भेंट हनुमान जी हुई तो उनको स्वयंप्रभा अपने आश्रम में लेकर गई और उनको कंदमूल, फल आदि को भोजन कराया। जिसके बाद वह हनुमान जी को अपने तपोबल से समुद्र के तट पर पहुंचाती है और हनुमान जी लंका में प्रवेश करते हैं।
धार्मिक कथाओं के अनुसार दिवय महिला स्वयंप्रभा का चरित्र विश्वास, ज्ञान और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक माना जाता है। उनके दिव्य गुणों और मदद की भावना ने यह सिद्ध किया कि धर्म की रक्षा करने के लिए सच्चे सहयोगी हर जगह मिल जाते हैं। स्वयंप्रभा की मदद से हनुमान जी सीता माता तक पहुंचने कामयाब हुए और भगवान श्रीराम की मुश्किल घड़ी को आसान बनाया। स्वयंप्रभा के इस योगदान ने रामायणकी कथा को तो आगे बढ़ाया ही। साथ ही भगवान के प्रति सच्ची भक्ति को भी दर्शाया।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Published on:
12 Dec 2024 10:34 am
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