
Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी ने अपनी मन्द हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था जिसके कारण इनका नाम कूष्मांडा विख्यात हुआ। भारतीय आध्यात्म के अनुसार शरीर के सप्तचक्रों में से अनाहत चक्र को यह देवी नियंत्रित करती हैं। ज्योतिष में इनका संबंध बुध ग्रह से माना गया है। पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि उनकी आराधना से वाणी सिद्धी (अर्थात् जिव्हा से निकली प्रत्येक बात का सत्य होना) का वरदान प्राप्त होता है।
नवदुर्गाओं में चतुर्थ कूष्मांडा देवी की नवरात्रि के चौथे दिन पूजा की जाती है। इनकी पूजा के लिए सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ, धुले हुए वस्त्र पहन कर शुद्ध आसन पर बैठें। माता की प्रतिमा अथवा चित्र को सामने रखकर उनकी धूप, दीपक आदि से पूजा-अर्चना करें, उन्हें हरी इलायची, सौंफ तथा कुम्हड़ा अर्पण करें तथा इलायची को ही प्रसाद के रूप में बांटे। पूजा के बाद देवी के मंत्र "ॐ कुष्मांडा देव्ये नम:" अथवा "या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम:" का जप करें।
देवी कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं विशेषकर जो लोग वाणी सिद्धी अथवा अन्य किसी प्रकार की सिद्धी प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए इन देवी की आराधना त्वरित फल देती है। इसके अतिरिक्त जन्मकुंडली में नीच का बुध होने अथवा अन्य किसी प्रकार का दोष होने पर भी देवी कूष्मांडा की आराधना से लाभ होता है।
Published on:
15 Apr 2021 10:49 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
