
Chandra grahan: इस दौरान क्या करें-क्या न करें, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
16 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन साल का दूसरा चंद्रग्रहण पड़ने वाला है। इस ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा वहीं यह चंद्रग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। इस खग्रास चंद्रगहण का नजारा आकाश में करीब तीन घंटे तक नज़र आएगा। जो की, 16 जुलाई की दरमियानी रात 1.32 बजे से शुरू होगा और तड़के सुबह 4.30 बजे ग्रहणकाल समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण का पूरा समय 2 घंटे 58 मिनट का रहेगा। शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण में कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। क्योंकि इसका प्रभाव मनुष्य के जीवन पर नकारात्मक पड़ता है। तो आइए जानते हैं किन बातों का इस समय ध्यान रखना जरूरी होता है...
ग्रहण काल के समय क्या करें क्या न करें
- ग्रहण काल में अपने इष्ट देव, मंत्र, गुरु मंत्र, गायत्री मंत्र आदि का मन में जप करना चाहिए।
ग्रहणकाल में ना करें ये काम
- ग्रहण काल के समय या उसके मध्य समय में भोजन ग्रहण करना, भोजन पकाना, शयन, मल-मूत्र त्याग, रतिक्रियाएं व सजने संवरने से संबन्धित कार्य नहीं करने चाहिए।
- मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के दौरान सब्जी काटना, कपड़े सीना व पिरोना आदि से बचना चाहिए।
- ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए तथा ग्रहण दर्शन तो भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से बचकर रहना चाहिए। क्योंकि ग्रहण की छाया के कुप्रभाव से गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है, जो बच्चे की सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होता है।
- ग्रहण के सूतक के नियमों का विचार गर्भवती महिलाओं, रोगी, बालकों और वृद्धों के लिए नहीं होता है।
- चंद्रग्रहण के समय वाद-विवाद से बचना चाहिए, इससे हमेशा घर का माहौल खराब होता है और ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियों का भी हो जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार ग्रहणकाल में किसी गरीब व असहाय का अपमान ना करें नहीं तो शनिदेव की बुरी नजर पड़ती है।
ग्रहण काल की समाप्ति के बाद करें ये काम
- शास्त्रों के अनुसार ग्रहण का मोक्षकाल समाप्त होने के बाद स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- ग्रहणकाल के बाद देवमूर्तियों को स्नान करा कर, गंगाजल छिडक कर, नए वस्त्र पहनाकर, देवों का श्रंगार करना चाहिए।
- ग्रहण काल में मंत्र जाप व चिंतन के कार्य करने का विधान है, इसलिये ग्रहण का मोक्ष काल समाप्त होते ही भगवान के दर्शन करना विशेष शुभ फलदायी होता है।
- ग्रहण काल में अगर कोई व्यक्ति तीर्थ यात्राओं पर है, तो उसे ग्रहण समाप्त होने के बाद करीब के तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान अवश्य करना चाहिए।
Published on:
08 Jul 2019 01:23 pm
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