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Chaturmas 2024: कब खत्म होगा चातुर्मास, जानें इस 4 महीने का नियम संयम और क्या करें, क्या न करें

Chaturmas 2024 : चातुर्मास 17 जुलाई यानी आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू हो रहा है और 4 माह बाद यह खत्म होगा। लेकिन क्या आपको पता है चातुर्मास में नियम संयम क्या रखना चाहिए और इसमें क्या करें, क्या न करें(chaturmas niyam chaturmas me kya karen)।

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Chaturmas 2024 kab khatm hoga

Chaturmas 2024: कब खत्म होगा चातुर्मास, जानें इस 4 महीने का नियम संयम और क्या करें, क्या न करें

Chaturmas 2024 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी यानी 17 जुलाई 2024 से चातुर्मास प्रारंभ हो गया है। इसके बाद 12 नवंबर 2024 कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव उठनी एकादशी रहेगी तक चातुर्मास चलेगा। शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास में आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए ताकि मानसिक और शारीरिक सेहत अच्छा रहे और सुख, शांति और समृद्धि मिले। मान्यता के अनुसार चातुर्मास में तप, साधना और जप का जल्दी ही फल मिलने लगता है। साथ ही साधना और सिद्धियों के लिए यह महीना सर्वोत्तम है।

चातुर्मास में क्या करें

व्रत : शास्त्रों के अनुसार चार माह उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए, इससे सभी तरह के रोग दूर हो जाते हैं। कुछ लोग चार माह तक एक समय भी भोजन करते हैं, जबकि साधक फलाहार लेते हैं। संभव है तो सबको इन नियमों का पालन करना चाहिए।

तप : इस 4 महीने साधकों को फर्श या भूमि पर सोना चाहिए, ध्यान, साधना या तप करना चाहिए, साधुजन योग, तप और साधना करते हैं, जबकि आम लोग भक्ति और ध्यान पर फोकस करते हैं।

संयम : इस चार महीने ब्रह्मचर्य का पालन करने का विधान है। मान्यता है कि इससे शक्ति का संचय होता है। ब्रह्मचर्य में इंद्रीय संयम के साथ ही मानसिक संयम भी रखें।

मौन : इन चार महीने कई लोग मौन व्रत रखते हैं। इससे मन की शक्ति बढ़ती है। यदि आप उपवास नहीं कर पा रहे हैं तो समय समय पर मौन रहकर लाभ उठा सकते हैं।

दिनचर्या : चातुर्मास में प्रतिदिन अच्‍छे से स्नान करें। उषाकाल में उठें और रात में जल्दी सोएं।

पूजा-प्रार्थना : नित्य सुबह और शाम को प्रार्थना, पूजा या संध्यावंदन करें। विष्णुजी का ध्यान करें। इसके अलावा लक्ष्मीजी, शिव, पार्वती, गणेश, पितृदेव, श्रीकृष्‍ण, राधा और रुक्मिणीजी की पूजा करें। चाहें तो अपने ईष्टदेव की पूजा, ध्यान या जप कर सकते हैं।

सत्संग : चातुर्मास में साधुओं के साथ सत्संग करना चाहिए, उनका प्रवचन सुनना चाहिए। ये काम ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

दान : इस चार महीने यथा शक्ति दान करें, चावल, अन्न, छाता, कंबल और धन का दान विशेष फलदायक है।

यज्ञोपवीत : इस चार महीने में शुभ मुहूर्त में यज्ञोपवीत धारण करने और उसका नवीनीकरण करने का विधान है।

तर्पण : चातुर्मास में पितरों के निमित्त पिंडदान या तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

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चातुर्मास में क्या न करें

संस्कार और मांगलिक कार्य : इन चार महीनों में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृहप्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निशिद्ध हैं।

बाल न कटवाएं : इन चार माहीनों में बाल और दाढ़ी नहीं कटवाते हैं।

कठोर बातें न बोलें : इन 4 महीनों में क्रोध, ईर्ष्या, असत्य वचन, अभिमान आदि भावनात्मक विकारों से बचें।

यात्रा नहीं करते : चातुर्मास में यदि व्रत धारण करके नियमों का पालन कर रहे हैं तो यात्रा न करें।

मन असंयम : चातुर्मास में व्यर्थ वार्तालाप, झूठ बोलना, अनर्गल बातें करना, मनोरंजन के कार्य आदि त्याग देने चाहिए।

इन चीजों का त्याग करें : चातुर्मास में तेल से बनी चीजों का सेवन न करें, दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन न करें। सावन में पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दें।

व्रत नहीं करते हैं खंडित : चातुर्मास का व्रत रख रहे हैं तो यदि आप बीमार हो जाएं तभी व्रत का त्याग कर सकते हैं वर्ना व्रत को खंडित न करें