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देव उठनी ग्यारसः पीपल पेड़ के नीचे इस स्तुति का पाठ करने से हो जाती है हर इच्छा पूरी

Dev Uthani Gyaras : Subhasit Stuti Path. पीपल पेड़ के नीचे इस स्तुति का पाठ करने से हो जाती है हर इच्छा पूरी

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भोपाल

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Shyam Kishor

Nov 01, 2019

देव उठनी ग्यारसः पीपल पेड़ के नीचे इस स्तुति का पाठ करने से हो जाती है हर इच्छा पूरी

देव उठनी ग्यारसः पीपल पेड़ के नीचे इस स्तुति का पाठ करने से हो जाती है हर इच्छा पूरी

देव उठनी ग्यारस इस साल 2019 में 8 नवंबर दिन शुक्रवार को है। शास्त्रों के अनुसार, देव उठनी एकादशी के दिन सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय किसी मंदिर में लगे पीपल पेड़ के नीचे बैठकर इस सुभाषित स्तुति का पाठ करने से भगवान श्री नारायण सभी इच्छाएं पूरी कर देते हैं, एवं जाने अंजाने में हुए पाप कर्मों के दुष्फल से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन चार माह तक विश्राम करने के बाद भगवान श्री विष्णु जी जागते हैं और इसी दिन से हिन्दू धर्म में मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

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1- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैवकुटम्बकम्॥

अर्थात- यह मेरा है, वह उसका है जैसे विचार केवल संकुचित मस्तिष्क वाले लोग ही सोचते हैं। विस्तृत मस्तिष्क वाले लोगों के विचार से तो वसुधा एक कुटुम्ब है।

2- सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।
यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम्।।

अर्थात- यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को ही बोलना चाहिए जिससे सर्वजन का कल्याण हो। मेरे (अर्थात् श्लोककर्ता नारद के) विचार से तो जो बात सभी का कल्याण करती है वही सत्य है।

3- सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात ब्रूयान्नब्रूयात् सत्यंप्रियम्।
प्रियं च नानृतम् ब्रुयादेषः धर्मः सनातनः।।

अर्थात- सत्य कहो किन्तु सभी को प्रिय लगने वाला सत्य ही कहो, उस सत्य को मत कहो जो सर्वजन के लिए हानिप्रद है, (इसी प्रकार से) उस झूठ को भी मत कहो जो सर्वजन को प्रिय हो, यही सनातन धर्म है।

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4- क्षणशः कणशश्चैव विद्यां अर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्॥

अर्थात- क्षण-क्षण का उपयोग सीखने के लिए और प्रत्येक छोटे से छोटे सिक्के का उपयोग उसे बचाकर रखने के लिए करना चाहिए। क्षण को नष्ट करके विद्याप्राप्ति नहीं की जा सकती और सिक्कों को नष्ट करके धन नहीं प्राप्त किया जा सकता।

5- अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद गजभूषणम्।
चातुर्यं भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणम्॥

अर्थात- तेज चाल घोड़े का आभूषण है, मत्त चाल हाथी का आभूषण है, चातुर्य नारी का आभूषण है और उद्योग में लगे रहना नर का आभूषण है।

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