
एकादशी व्रत कितने प्रकार से रख सकते हैं
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार व्रत के लिए श्रद्धा पहली शर्त है, बाकी एकादशी व्रत के चार प्रकार धार्मिक ग्रंथों में बताए गए हैं। पं. शिवम के अनुसार व्रत शुरू करने से पहले संकल्प के दौरान ही भक्त इसे अपनी इच्छा शक्ति और शारीरिक शक्ति के अनुसार तय कर लेता है। उसके बाद इसमें बदलाव किए बगैर उसे इस संकल्प को पूरा करना चाहिए। आइये जानते हैं कैसे रखते हैं एकादशी व्रत..
इसके अनुसार भक्त संकल्प के दौरान सिर्फ जल पीने का संकल्प लेता है यानि यह एकादशी व्रत केवल जल से किया जाने वाला है। अधिकांश भक्त निर्जला एकादशी के दौरान यह व्रत रखते हैं। हालांकि भक्त इस नियम का पालन सभी एकादशियों के व्रत में रख सकते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार क्षीरभोजी एकादशी व्रत में भक्त एक मीटिंग दूध से बने उत्पादों का सेवन कर सकते हैं। क्षीरभोजी एकादशी व्रत में ऐसे पौधों के रस जो सफेद दूध जैसे होते हैं उन्हें भी ग्रहण कर सकते हैं।
फलाहारी का अर्थ केवल फल पर निर्भर रहकर किया जाने वाला एकादशी का व्रत। इसमें एकादशी व्रत के दौरान आम, अंगूर, केला, बादाम और पिस्ता आदि का सेवन कर सकते हैं। लेकिन किसी भी हालत में पत्तेदार सब्जियां न खाएं।
नक्तभोजी एकादाशी व्रत का अर्थ है सूर्यास्त से ठीक पहले दिन में एक बार भोजन करना। लेकिन इसमें सेम, गेहूं, चावल और दाल आदि का कोई भी भोज्य पदार्थ नहीं होना चाहिए। एकादशी व्रत में निषिद्ध कोई भी पदार्थ भोजन में शामिन नहीं करना चाहिए।
नक्तभोजी एकादशी व्रत के दौरान मुख्य रूप से साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंदी, आलू और मूंगफली के दाने आदि का सेवन कर सकते हैं।
Updated on:
17 Jun 2024 05:06 pm
Published on:
21 Nov 2023 08:10 pm
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