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केवल 10 दिन सुबह-शाम कर लें यह काम, बुद्धि, धन, यश, मान-सम्मान, सुख मिलेगा भरपूर

Ganesh Chaturthi 2 September 2019 : Ganesh Stuti path : संकटों से बचने एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्थी तक कुल 10 दिन सुबह-शाम गणेशजी के सामने श्रद्धापूर्वक कर ले यह छोटा सा काम।

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भोपाल

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Shyam Kishor

Aug 30, 2019

Ganesh Chaturthi 2 September 2019 : Ganesh Stuti path in hindi

केवल 10 दिन सुबह-शाम कर लें यह काम, बुद्धि, धन, यश, मान-सम्मान, सुख मिलेगा भरपूर

Ganesh Chaturthi 2 September 2019 : केवल गणेश चतुर्थी, गणेश उत्सव ही नहीं साल के 365 दिन श्रीगणेश जी का विघ्नों के नाश, सद्बुद्धि- सदज्ञान की कामना से पूजा अर्चना की जाती है। श्रीगणेश जी का शरण में जाने से बुद्धि, धन, ज्ञान, यश, सम्मान, पद और तमाम भौतिक सुखों की प्राप्ति होने लगती है। संकटों से बचने एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्थी तक कुल 10 दिन इस गणेश स्तुति पाठ सुबह-शाम गणेशजी के सामने श्रद्धापूर्वक करें।

गणेश स्तुती - 1
॥ श्लोक ॥

प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात।
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥
गजानंद महाराज पधारो, कीर्तन की तैयारी है।
आओ आओ बेगा आओ, चाव दरस को भारी है॥

थे आवो ज़द काम बणेला, था पर म्हारी बाजी है।
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो, चिन्ता म्हाने लागि है।
देर करो मत ना तरसाओ, चरणा अरज ये म्हारी है।।
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥

रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक, देवों दरस थारा भगता ने।
भोग लगावा ढोक लगावा, पुष्प चढ़ावा चरणा मे।
गजानंद थारा हाथा मे, अब तो लाज हमारी है।।
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥

भगता की तो विनती सुनली, शिव सूत प्यारो आयो है।
जय जयकार करो गणपति की, म्हारो मन हर्शायो है।
बरसेंगा अब रस कीर्तन में, भगतौ महिमा भारी है।।
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥

गजानंद महाराज पधारो, कीर्तन की तैयारी है।
आओ आओ बेगा आओ, चाव दरस को भारी है॥

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गणेश स्तुती - 2

श्री गणेश - शेंदुर लाल चढ़ायो

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको। दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥

जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि।।
॥ जय देव जय देव ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे॥

जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज, विद्या सुखदाता, हो स्वामी सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन, मेरा मन रमता, जय देव जय देव॥

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