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Who Is Ganesh Ji : एक भयंकर यक्ष राक्षस प्रथम पूजनीय विघ्नहर्ता कैसे बन गए, जानें आखिर गणेश जी है कौन?

Ganesh Chaturthi 2019 : Vighnaharta Ganesh History : अनेक पुराणों में गणेश का अद्भुत वर्णन मिलता है, भारतीय धर्म संस्कृति में प्रत्येक शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले श्रीगणेश जी की पूजा की जाती है। जानें गणेश के बारे में की आखिर गणेश जी है कौन।

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भोपाल

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Shyam Kishor

Sep 02, 2019

Ganesh Chaturthi 2019 : Vighnaharta Ganesh History

Who Is Ganesh Ji : एक भयंकर यक्ष राक्षस प्रथम पूजनीय विघ्नहर्ता कैसे बन गए, जानें आखिर गणेश जी है कौन?

Vighnaharta Ganesh : भगवान श्रीगणेश 33 कोटि देवताओं में से एक अति प्राचीन देवता माने जाते हैं। ऋग्वेद और यजुर्वेद में गणेश जी को गणपति शब्द से संबोधित किया गया है। अनेक पुराणों में गणेश का अद्भुत वर्णन मिलता है। हिन्दू धर्म में आदि देव भगवान शिवजी के परिवार में भी गणेश जी का अति महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारतीय धर्म संस्कृति में प्रत्येक शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले श्रीगणेश जी की पूजा की जाती है। जानें गणेश के बारे में की आखिर गणेश जी है कौन।

गणेश जी का परिचय

1- गणेश जी के अन्य नाम- गजानन, लम्बोदर, एकदन्त, विनायक आदि

2- पिता- शिव

3- माता- पार्वती

4- जन्म विवरण- भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था।

5- धर्म- संप्रदाय- हिन्दू धर्म

6- विवाह- ऋद्धि सिद्धि

7- मंत्र- ॐ गं गणपतये नमः

8- वाहन- शास्त्रों और पुराणों में सिंह, मयूर और मूषक को श्री गणेश जी का वाहन बताया गया है।

9- भोग प्रसाद- मोदक, बेसन के लड्डू

10- पर्व, त्यौहार- श्रीगणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी, मासिक चतुर्थी, गणेशोत्सव

11- प्राकृतिक स्वरूप- गणेश जी एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्त चन्दन धारण करते हैं तथा उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं।

12- धार्मिक मत- हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। सभी देवताओं में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है।

पहली कथा

पुराणों के अनुसार, एक बार शनि देव की दृष्टि पड़ने से शिशु रूप श्री गणेश का सिर जल कर भस्म हो गया। इससे दुःखी माता पार्वती से ब्रह्मा जी ने कहा- जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। पहला सिर हाथी के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए।

दूसरी कथा

एक बार माता पार्वती गणेश को अपने भवन के मुख्य द्वार पर रक्षा के लिए बैठाकर स्नान करने लगीं। इतने में भगवान शिव आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। गणेश ने जब उन्हें रोका तो शिव जी क्रोधित होकर अपनी त्रिशुल से बालक गणेश का सिर धड़ से काट दिया।

तीसरी कथा

एकदंत होने के संबंध में कथा मिलती है कि शिव-पार्वती अपने शयन कक्ष में थे और गणेश द्वार पर बैठे थे। इतने में ऋषि परशुराम जी आए और उसी क्षण शिवजी से मिलने का आग्रह करने लगे। जब गणेश जी ने रोका तो परशुराम ने अपने फरसे से उनका एक दांत तोड़ दिया।

चौथी कथा- ऐसे बने विघ्नहर्ता

आदि काल में एक भयंकर यक्ष राक्षस निर्दोष लोगों को परेशान करता था और लोगों के कार्यों को निर्विघ्न संपन्न नहीं होने देता था। भय के मारे लोग यक्ष राक्षश की पूजा करने लगे, बाद में कालांतर में यही विघ्नेशवर या विघ्न विनायक कहलाए।

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