scriptGanga Dussehra 2021: गंगा दशहरा से जुड़ी कुछ बेहद खास बातें और जानें इस दिन 10 अंक का महत्व | Ganga Dussehra 2021-date, special coincidence and importance of 10 | Patrika News

Ganga Dussehra 2021: गंगा दशहरा से जुड़ी कुछ बेहद खास बातें और जानें इस दिन 10 अंक का महत्व

locationभोपालPublished: Jun 19, 2021 02:30:14 pm

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी…

Ganga Dussehra

Ganga Dussehra 2021

गंगा के पृथ्वी में अवतरण के दिवस को हिंदू पंचांग में गंगा दशहरा ganga dussehra कहा जाता है। हर साल यह तिथि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को पड़ती है। ऐसे में इस साल यानि 2021 में भी गंगा दशहरा रविवार, 20 जून ganga dussehra 2021 date को मनाया जाएगा।

जानकारों के अनुसार गंगा दशहरा सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला पर्व माना जाता है। ऐसे में इस बार 74 साल बाद चित्रा नक्षत्र और परिघ योग में गंगा दशहरा ganga dussehra status in hindi लग रहा है। जिसके चलते ग्रह-नक्षत्रों की ये स्थिति श्रद्धालुओं के लिए काफी शुभ मानी जा रही है।

गंगा दशहरा ganga dussehra 2021 date के शुभ मुहूर्त…
दशमी तिथि शुरु: शनिवार, 19 जून 2021 : शाम 06:50 बजे से
दशमी तिथि समाप्त: रविवार, 20 जून 2021 : शाम 04:25 बजे तक

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माना जाता है कि इस दिन ganga dussehra story स्नान-दान गंगा की पूजा करने से वाणी, कर्म व विचार से हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है। गंगा दशहरा का दिन गंगा माता का पूजन पितरों को तारने और पुत्र, पौत्र व मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। बताया जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

वहीं विष्णु पुराण के अनुसार ganga dussehra status गंगा का नाम लेने, सुनने, उसे देखने, स्पर्श करने,उसका जल पीने, उसमें स्नान करने और सौ योजन दूर से भी गंगा नाम का उच्चारण करने मात्र से मनुष्य के तीन जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं।

गंगा दशहरा से जुड़ी खास बातें-
1. सनातन संस्कृति में गंगा दशहरा पर्व एक पवित्र त्योहार है।

2. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।

3. गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान मनुष्य को पापों से मुक्त कराता है।
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4. शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान के बाद सूर्यदेवता को जल अर्घ्य देना चाहिए, इसके बाद दान अवश्य करना चाहिए।

5. गंगा स्नान के साथ ही इस दिन दान-पुण्य काफी लाभकारी होता है, जो अंत समय के बाद मोक्ष की प्राप्ति करने में सहायक होता है। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने की मान्यता है।

6. इस दिन मंत्र- ”नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:” का जाप करना चाहिए।

7. गंगा दशहरा के दिन अपने पितृ को याद करके उन्हें जल अर्पण करना चाहिए।

8. गंगा का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु Lord vishnu के श्रीचरणों से ही हुआ है। ऐसे में मां गंगा के दर्शनों से आत्मा प्रफुल्लित तथा विकासोन्मुखी होती है।

मत्स्य, गरुड़ और पद्म पुराण के अनुसार हरिद्वार, प्रयाग और गंगा के समुद्र संगम में स्नान करने से मनुष्य मरने के बाद स्वर्ग पहुंच जाता है और फिर कभी पैदा नहीं होता यानी उसे निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है।

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गंगा दशहरा / गंगा दशमी से जुड़े 10 के अंक का महत्व…
वहीं गंगा दशहरा यानि गंगा दशमी के दिन अंक 10 का विशेष महत्व है, सबसे पहले तो दशहरा / दशमी यानि 10वां दिन, वही इस दिन 10 पंडितों को 10 तरह के दान से 10 प्रकार के पापों का नाश होता है।

इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन 10 संयोगों के साथ गंगा में 10 डुबकी के अलावा मां गंगा की पूजा में 10 की संख्या में सामग्री जैसे 10 दीये, 10 तरह के फूल, 10 दस तरह के फल आदि होने चाहिए। स्नान के बाद भी श्रद्धा अनुसार 10 गरीबों में दान-पुण्य करें।

10 दिव्य योग: देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के समय 10 दिव्य योग- ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा व वृषभ राशि का सूर्य को दश महायोग कहा गया है।

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10 स्नान : इस दिन गंगा नदी में स्नान के दौरान 10 बार डुबकी लगानी चाहिए। गंगा में स्नान करते समय मंत्र- ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ का स्मरण करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है।

10 पापों का नाश : शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण के दिन गंगा जी में स्नान और पूजन-उपवास करने वाला व्यक्ति दस प्रकार के पापों से छूट जाता है। इन 10 प्रमुख पापों में 3 प्रकार के दैहिक, 4 वाणी के द्वारा किए हुए और 3 मानसिक पाप माने गए हैं। ये सभी गंगा दशहरा के दिन पतितपावनी गंगा स्नान से धुल जाते हैं।

10 दान : गंगा दशहरे के दिन दान की वस्तु की संख्या 10 होनी चाहिए इसके साथ ही पूजन के लिए उपयोग में आने वाली वस्तुओं की संख्या भी दस ही होनी चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। इसके अलावा 10 ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए। 10 दान में जल,फल, अन्न, वस्त्र, पूजन सामग्री, घी, तेल,नमक, शक्कर और स्वर्ण होना चाहिए।

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