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हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए

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Deepesh Tiwari

Nov 14, 2022

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श्रीराम के परमभक्त श्री हनुमान को कलयुग का देवता माना जाता है, यह 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं। हनुमान जी की महिमा व भक्तहितकारी स्वभाव अपरम्पार है, इसी के चलते शायद तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा लिखा। जिससे हनुमान जी को प्रसन्न किया जा सके, ज्ञात हो कि हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पढ़ने के फायदे लाभ बहुत माने जाते हैं, तो चलिए जानते है श्रीहनुमान चालीसा पढ़नें के फायदे-

श्रीहनुमान चालीसा पढ़नें के फायदे (मान्यता के अनुसार): Hanuman Chalisa Padhne ke Fayde
: 7 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे: अगर कोई हनुमान भक्त हनुमान चालीसा का पाठ 7 बार करता है, तो मान्यता के अनुसार ऐसे में उस हनुमान भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
: 21 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे: अगर आप नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ 21 बार करें, तो माना जाता है कि ऐसा करने से आपकोव्यापार में लाभ बना रहेगा।
: 108 बार हनुमान चालीसा के फायदे: अगर कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ रोजाना 108 बार करता है, तो माना जाता है कि ऐसे व्यक्ति के घर में ख़ुशी बनी रहेगी और भक्त के सभी बिगड़े कार्य भी सफल हो जाएंगे।

श्री हनुमान चालीसा लिरिक्स इन हिंदी : shri hanuman chalisa lyrics in hindi

जानकारों का मानना है कि यदि आप हनुमान जी के भक्त हैं, तो आपको हनुमान चालीसा याद होना चाहिए।

Must Read-श्री हनुमान चालीसा का पाठ इन नियमों से करने पर मिलता है पूर्ण फल

श्रीहनुमान चालीसा दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।


श्री हनुमान चालीसा चौपाई-
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजै
संकर सुवन केसरीनंदन
तेज प्रताप महा जग बन्दन
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा

बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचंद्र के काज संवारे
लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
***** कहि श्रीपति कंठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोबिद कहि सके कहां ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेस्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डर ना
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लाव
सोइ अमित जीवन फल पावै
चारों जुग परताप तुम्हारा है
परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस-बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम-जनम के दुख बिसरावै
अन्तकाल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरि भक्त कहाई
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा

श्री हनुमान चालीसा दोहा...
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप