
How to make your saturn beneficial for Yourself
शनि ग्रह के बुरे प्रभाव से हनुमानजी के अलावा यदि कोई बचा सकता है तो वह है बाबा भैरव। लाल किताब की विद्या वैदिक या परंपरागत प्रचलित ज्योतिष विद्या से अलग है। इसमें शनि, राहु या केतु ग्रहों के उपाय अन्य ज्योतिष विद्या से थोड़े भिन्न हैं। सभी ग्रहों के देवी और देवता भी थोड़े बहुत अलग हैं। जैसे कि शनिदेव को शनि ग्रह का स्वामी या देवता माना जाता है परंतु लाल किताब में इसके अलावा भैरव महाराज को भी शनि ग्रह का देवता माना गया है।
दरअसल हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं।
मान्यता के अनुसार शनि या राहु, केतु से पीड़ित व्यक्ति अगर शनिवार और रविवार को काल भैरव के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करें। तो उसके सारे कार्य सकुशल संपन्न हो जाते है। भैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य की रक्षा भी होती है।
1. भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत हो जाता है।
2. आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है।
3. लाल किताब की विद्या के अनुसार शनि के प्रकोप से बचने के लिए भैरव महराज को कच्चा दूध या शराब चढ़ाने का कहा जाता है।
4. जन्मकुंडली में अगर आप मंगल ग्रह के दोषों से परेशान हैं तो भैरव की पूजा करके पत्रिका के दोषों का निवारण आसानी से कर सकते हैं।
5. राहु केतु के उपायों के लिए भी इनका पूजन करना अच्छा माना जाता है।
6. भैरव महाराज की सवारी कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाने से भी शनिदेव शांत रहते हैं।
पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवित्रता वर्जित है।
Published on:
26 Feb 2021 09:26 am
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
