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रथयात्रा : 15 दिन बाद इस रथ पर बैठकर अपने भाई-बहन के साथ दर्शन देंगे भगवान जगन्नाथ, करेंगे हर मन्नत पूरी

अपने भाई-बहन के साथ दर्शन देंगे भगवान जगन्नाथ, करेंगे हर मनोकामना पूरी

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भोपाल

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Shyam Kishor

Jun 18, 2019

Jagannath rath Yatra festival 2019

रथयात्रा : 15 दिन बाद इस रथ पर बैठकर अपने भाई-बहन के साथ दर्शन देंगे भगवान जगन्नाथ, करेंगे हर मन्नत पूरी

साल 2019 में 12 दिन तक चलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आज से ठीक 15 दिन बाद यानी की जुलाई माह की 4 तारीख दिन गुरुवार, आषाड़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वतीया तिथि को अपने भक्तों को अपनी बहन देवी सुभद्रा एवं अपने बड़े भाई श्री बलराम जी के साथ इस रथ पर बैठकर दर्शन देंगे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान के और उनके रथ के दर्शन मात्र से मनुष्य की सभी मन्नत पूरी होने के साथ जन्मजन्मांतरों के पापों का नाश भी हो जाता है। जानें किस रथ पर सवार होंगे भगवान श्री जगन्नाथ।

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इस दिन से शुरू हो जाता है रथों का निर्माण

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का महोत्सव कुल दस दिवसीय होता है। इस यात्रा की तैयारी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया तिथि के दिन से ही भगवान श्रीकृष्ण , श्री बलराम और देवी सुभद्रा जी के सभी तीनों रथों का निर्माण कार्य शुरू हो जाती है। इन तीनों देवों के रथ अलग-अलग होते हैं जिन्हें उनके भक्त पूरी मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक खींचते हैं।

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ये है मुख्य तीन रथ

नंदीघोष नामक रथ जो 45.6 फीट ऊंचा होता है जिसमें श्री भगवान जगन्नाथ जी सवार होते हैं। तालध्वज नामक रथ 45 फीट ऊंचा रहता है जिसमें भगवान श्री बलभद्र जी सवार होते हैं। दर्पदलन नामक रथ 44.6 फीट ऊंचा है जिसमें देवी सुभद्रा जी सवार होती है। देश के कुछ भागों में इस पवित्र रथ यात्रा को 'गुण्डीय यात्रा' के नाम से भी जाना जाता है।

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भगवान के रथ का परिचय

भगवान जगन्नाथ के रथ को 'गरुड़ध्वज' अथवा 'कपिल ध्वज' भी कहा जाता है। लाल और पीले रंग के इस रथ की रक्षा विष्णु का वाहक गरुड़ करते हैं। इस रथ पर एक ध्वज भी स्थापित किया जाता है जिसे ‘त्रिलोक्य वाहिनी’ कहा जाता है।

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बलभद्र और देवी सुभद्रा जी के रथ

प्रभु बलभद्र के रथ को ‘तलध्वज’ कहते हैं और यह लाल और हरे रंग के कपडे और 763 लकड़ी के टुकड़ों से बना होता है। देवी सुभद्रा की प्रतिमा ‘पद्मध्वज’ नामक रथ में विराजमान होती है जो लाल और काले कपड़े और लकड़ियों के 593 टुकड़ों से बनाया जाता है।